नई दिल्ली: जब भी कोई फ्लाइट का टिकट बुक (Flight Ticket Booking) करता है तो उसे किराए पर कई तरह के टैक्स (Taxes on Flight Ticket) का भुगतान करना पड़ता है. एयर टिकट पर लगने वाला एक ऐसा ही टैक्स सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है. दरअसल एक यूजर ने Twitter पर अपने एक टिकट की स्लिप पोस्ट की है, जिसमें प्राइस का ब्रेकअप (Flight Ticket Price Breakup) भी है. उसमें एक हेड में क्यूट चार्ज (CUTE Charge) के 100 रुपये जोड़े गए हैं. लोग इसे लेकर हैरान हो रहे हैं कि यह कैसा टैक्स है, जो इंडिगो (Indigo) अपने ग्राहकों से वसूल रही है.
एक यूजर ने शेयर किया प्राइस ब्रेकअप
यूजर ने टिकट का प्राइस ब्रेकअप शेयर करते हुए लिखा है, ‘क्यूट टैक्स. मुझे मालूम है कि जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ रही है, मैं और क्यूट होता जा रहा हूं. हालांकि मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि इंडिगो इसके लिए मुझसे चार्ज वसूलना शुरू कर देगी.’ पोस्ट देखते-देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. कुछ लोग पोस्ट करने वाले यूजर को ट्रॉल भी करने लगे, तो कइयों ने ये बताने का प्रयास किया कि वास्तव में यह क्यूट टैक्स (CUTE Tax) होता क्या है. वहीं एक यूजर ने शिकायत की, ‘जब मैंने ये Tweet किया था, तब वायरल क्यों नहीं हुआ था.’ दूसरे यूजर के प्राइस ब्रेकअप में क्यूट चार्ज के नाम पर 50 रुपये जोड़े गए हैं.
क्या होता है क्यूट टैक्स (What is CUTE Charge?)
CUTE का मतलब है Common Use Terminal Equipment. एयरपोर्ट और एयरलाइंस आपस में संसाधन शेयर करते हैं, ताकि यात्रियों और विमानन कंपनियां दोनों के लिए क्षमता का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो सके. एयरपोर्ट और एयरलाइंस के बीच संसाधन शेयर होने के चलते ही इस तरह के चार्ज वसूल किए जाते हैं. क्यूट विमानन कंपनियों के द्वारा वैसे इक्विपमेंट शेयर करने के लिए चार्ज किया जाता है, जो ग्राउंड सपोर्ट इक्विपमेंट की पूलिंग (GSE Pooling) के समतुल्य होते हैं. आसान शब्दों में कहें तो चेक-इन काउंटर्स और बैग टैग देने वाले प्लेटफॉर्म को कंपनियां आपस में शेयर करती हैं, और इसी के बदले क्यूट चार्ज लिया जाता है.
इस कारण वसूला जाता है CUTE Tax
पारंपरिक तौर पर सभी विमानन कंपनियों के पास अपने चेक-इन काउंटर (Check-In Counters) होते हैं. कंपनियों के पास इन काउंटर्स का मालिकाना हक भी होता है और वे खुद से ही इन्हें ऑपरेट करती हैं. चेक-इन और बैग टैग (Bag Tag) के लिए सभी कंपनियां अपने अलग-अलग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती हैं. एयरपोर्ट के पास क्यूट टेक्नोलॉजी (CUTE Technology) होती है, जो सभी विमानन कंपनियों को अपने-अपने ऐप एक ही प्लेटफॉर्म पर चलाने में सक्षम बनाती है. इससे जरूरत पड़ने पर चेक-इन काउंटर्स और बैग टैग प्रोवाइडर प्लेटफॉर्म को शेयर करने की सहूलियत मिल जाती है.
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