• img-fluid

    हर कोई है अपने अंजाम से वाकिफ… नौका को बचाने के लिए कोई अपना जहाज क्यों डुबाएगा

  • March 02, 2022

    यूक्रेन हैरान है… क्योंकि वो नादान है…भला रूस से कौन टकराएगा…नौका को बचाने के लिए कोई अपना जहाज क्यों डुबाएगा…डराएगा… धमकाएगा… गुर्राएगा… लेकिन अपनी सेना लेकर न अमेरिका चढ़ाई करने जाएगा न फ्रांस, जापान या ब्रिटेन ओखली में अपना सिर फंसाएगा…रूस हथियारों से भी शक्तिशाली…उसके पास न पैसों की कमी है न किसी दूसरे देश पर निर्भर है…वो पूरे यूरोप पर भारी है तो अमेरिका से उसकी बराबरी है…रूस अपनी प्रगति पर ध्यान देता है…किसी के फटे में पैर नहीं फंसाता है… आर्थिक रूप से वो समृद्ध कहलाता है… संयुक्त राष्ट्र परिषद में उसकी हिस्सेदारी है… हर फैसले पर वो वीटो पॉवर रखता है… लेकिन अमेरिका हर देश के फटे में पैर फंसाता है…कभी इराक में घुस जाता है तो कभी अफगान को पालता है…कभी आतंकियों को पालता है तो कभी उन्हें मारने के लिए सिर खपाता है…उसकी इन हरकतों का कारण यह है कि वो अपने कौडिय़ों के हथियार करोड़ों में बेचना चाहता है…हथियारों से अरबों-खरबों का मुनाफा कमाता है…इसीलिए किसी देश में शांति हो यह उसे नहीं सुहाता है…भारत को कमजोर करने के लिए पाकिस्तान को गोद में बिठाता है…फिर पाकिस्तान आंख दिखाए तो उसे टुकड़े डालकर मनाता है…लादेन उसके देश में घुसे तो वो पाकिस्तान में घुस जाता है… दुनिया की चौधराहट की जिद में रूस को भी इराक, अफगान और पाकिस्तान समझने की गलती कर डालता है…फिर रूस ठेंगा दिखाए…मुकाबले पर आए तो घर में दुबक जाता है…खुद को शहंशाह समझकर आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान कर डालता है…लेकिन यह भूल जाता है कि चिंदी के लिए कोई चूहा ही नजरें झुकाता है…जो खुद कपड़ा मार्केट खोलकर बैठे उसके लिए चिंदी का मोल कचरे की तरह रह जाता है…रूस के लिए यूक्रेन की स्थिति भारत-पाक जैसी ही है…है तो वह पिद्दी-सा देश…लेकिन यदि वो नाटो देशों का सदस्य बन जाता तो उसकी सीमा तक नाटो सेना की पहुंच हो जाती और यूक्रेन की मनमानी पर रूसी लगाम नहीं लग पाती… रूस की सेना में बारह लाख सिपाही हैं तो नाटो की सेना में तीस लाख…नाटो के पास 31 देशों की ताकत है, जिनके हथियार एकजुट हो जाएं तो वो रूस पर भारी पड़ जाएं… इसीलिए रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो देशों का सदस्य न बन पाए…लेकिन अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन के जरिए नाटो को रूस के सिर पर बिठाए और रूस यूक्रेन पर तो क्या किसी भी देश पर मनमानी न कर पाए… अमेरिका की इस नापाक मंशा को नाकाम करने के लिए रूस के पास यह आखिरी मौका था कि वो हथियार डाले या हथियार उठाए… यूक्रेन को हथियार बनाकर अमेरिका उसका शिकार कर पाए यो वो यूक्रेन का शिकार कर अपने आपको सुरक्षित कर पाए…इस हिमाकत के लिए ताकत दिखाए या सिर झुकाए…इन हालातों में रूसी फैसला उसी तरह जायज है, जिस तरह भारत आतंकियों को मारने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करता है और खुद को महफूज रखता है…यूक्रेन को रूस का दुश्मन बनाने में भी अमेरिकी चाल रही…रूस यूरोप तक अपनी गैस पाइप लाइन बिछाने के लिए यूक्रेन का इस्तेमाल कर रहा था…इस एवज में वो उसे 33 बिलियन डॉलर हर साल दे रहा था…लेकिन यूक्रेन इन पैसों का इस्तेमाल रूस के खिलाफ ही शक्ति बढ़ाने में करने लगा है… लिहाजा रूस ने मात्र 10 बिलियन डॉलर खर्च कर अपनी गैस पाइप लाइन जर्मनी के रास्ते बिछा डाली…जब रूस यूक्रेन को बिना टूरिस्ट शुल्क दिए गैस भेजने लगा तो यूक्रेन खुलकर रूस विरोधी हरकतें करने लगा…इस विरोध को आग देने के लिए अमेरिका उसे नाटो देशों का सदस्य बनाकर रूस की उन्नति में बाधक बनना चाहता था…लेकिन रूस ने अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए यूक्रेन पर हमला बोलकर नाटो गैंग को सबक सिखाना चाहा लेकिन उसकी यह चाहत उसके अपने देश में विरोध का कारण बन गई क्योंकि यूक्रेन में बड़े पैमाने पर उन लोगों की तबाही हुई जिनका संबंध रूस से था… रूस सोचता था कि चंद घंटोंम ें ही वह यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा… यूक्रेनी फौजी हथियार डाल देंगे लेकिन उसकी इस मंशा के विफल होने से उसे दुनियाभर में बदनामी झेलना पड़ रही है…

    Share:

    यूक्रेन से भारतीयों की हुई वतन वापसी, स्मृति ईरानी ने चार भाषाओं में किया स्वागत, लगे भारत माता की जय के नारे

    Wed Mar 2 , 2022
    नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने बुधवार को युद्धग्रस्त यूक्रेन (Ukraine) से लौटने वाले भारतीयों का स्वागत किया. रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच छिड़ी जंग की वजह से यूक्रेन में हजारों की संख्या में भारतीय फंस गए हैं. ऐसे में भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) चलाया हुआ है, […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    सोमवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved