डेस्क। रोजमर्रा के जरूरी सामानों और किराना आइटम की 40 फीसद तक महंगाई बढ़ गई है. इस खर्च ने घर का बजट बिगाड़ दिया है और हर घर का औसतन खर्च 5 परसेंट तक बढ़ गया है. यह आंकड़ा इस साल अप्रैल-जून और पिछले साल के इसी अवधि के बीच है. यानी कि पिछली तिमाही से इस तिमाही तक घर के सामान पर खर्च और किराना के दामों पर अब 5 परसेंट से ज्यादा पैसा चुकाना पड़ा रहा है. यह बात टाटा ग्रुप की रिटेल डिजिटाइजेशन स्टार्टअप कंपनी स्नैपबिज की एक रिपोर्ट में सामने आई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी के दामों में महंगाई ने पिछले 15 महीने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. आटा, चीनी, दाल और दुकानों पर खुदरा में मिलने वाले सामान के दाम तेजी से बढ़े हैं. मसालों के दाम में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. हालांकि पैकेज्ड सामानों के दाम में कोई अंतर नहीं आया है. स्रैनबिज ने यह रिपोर्ट 20 लाख शॉपर बास्केट के दामों के आधार पर तैयार की है. यहां शॉपर बास्केट का मतलब स्टोर से है जहां रोजमर्रा और किराने का सामान बिकता है. पिछले साल कोरोना महामारी शुरू होने के बाद हर महीने कीमतों की निगरानी करने के बाद रिपोर्ट तैयार की गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, जरूरी सामानों में लगभग हर तरह के बाजार में चावल की रेट में 8-10 परसेंट की वृद्धि दर्ज की गई है. गेहूं के दाम में बढ़ोतरी होने से लोकल ब्रांड के आटा पर 8-15 फीसद की बढ़ोतरी देखी जा रही है. आशीर्वाद और पिल्सबरी जैसे ब्रांड्स ने हालांकि एमआरपी को पहले की तरह ही रखा है लेकिन ट्रेड और प्रमोशन स्कीम को रोक दिया गया है. सबसे ज्यादा तेजी खाद्य तेलों के दाम में देखी जा रही है और यह 40-50 परसेंट तक है. पूरे देश में खाद्य तेलों के एमआरपी पर इतनी बढ़ोतरी देखी जा रही है.
नमक, कॉफी, साबुन की टिकिया, बिस्कुट के दाम स्थिर हैं, लेकिन स्कीम और डिस्काउंट को वापस ले लिया गया है. मैगी ने दाम तो नहीं घटाए हैं लेकिन 70 ग्राम के बदले पैकेट में 60 ग्राम ही मैगी मिल रही है. तेल के दाम बढ़ने से स्नैक्स के आइटम पर 8-10 परसेंट की बढ़ोतरी देखी जा रही है. डिटरजेंट पाउडर और लिक्विड के दाम में 5-7 परसेंट का उछाल आया है. चायपति के दाम पर 15-20 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है. सिर्फ हैंड सैनिटाइजर के दाम ही 20-30 परसेंट तक घटे हैं क्योंकि सरकार ने टैक्स माफ कर दिया है.
महंगाई की एक वजह कोरोना लॉकडाउन बताई जा रही है. लॉकडाउन के चलते लोगों को घरों में बंद रहना पड़ा जिससे उनकी जरूरतें बिल्कुल बदल गईं. घर में बंद रहने और हाउसहोल्ड ग्रोसरी आदि के खर्च बढ़ने से घर का बजट 5 परसेंट तक बढ़ गया. लॉकडाउन के दौरान लोगों की आय घटी जिसके चलते लोगों ने सस्ते सामान की मांग बढ़ा दी. लोगों की जरूरतों में बदलाव और सस्ते सामान की मांग को देखते हुए किराना दुकानदारों ने स्टॉक करना कम कर दिया. सामान स्टोर नहीं होने पुरानी दर पर बिक्री नहीं हुई और पीछे से सामान आ रहे हैं, वे अब महंगे हो चले हैं. बड़े स्टोर और दुकानदारों का कहना है कि पहले की तुलना में कस्मटर भी कम हो गए हैं जिससे मई और जून में बिक्री पर 10-15 परसेंट की गिरावट आई है.
इस साल मई महीने में दुकानदारों और स्टोरकीपर ने सबसे कम बिक्री दर्ज की है. जून में थोड़ी रिकवरी दिख रही है, लेकिन पिछले साल के जून की तरह नहीं है. इस साल जून में देश के कई इलाकों में बंद और कर्फ्यू का असर देखा जा रहा है. इससे भी बिक्री पहले की तुलना में घटी है. लोगों का इलाज पर खर्च बढ़ गया है. कच्चे तेल के दाम बढ़ने से पेट्रोल और डीजल के दाम भी तेजी से बढ़े हैं. इससे लगभग सभी सामानों के दाम पहले से बढ़े हुए हैं. बढ़े दाम का फायदा किराना स्टोर को मिला है क्योंकि 88 परसेंट से ज्यादा एफएमसीजी प्रोडक्ट इन्हीं दुकानों पर मिलते हैं. ई-कॉमर्स कंपनियों का इसमें महज 2.7 परसेंट की हिस्सेदारी है.
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