नई दिल्ली। जन्मजात कमजोरी (congenital weakness) व शारीरिक विकारों की वजह से हर साल 3.03 लाख नवजात मर रहे हैं। जो बच रहे हैं वे जीवन भर किसी न किसी शारीरिक चुनौती (physical challenge) का सामना करेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 3 मार्च को विश्व जन्मजात विकार दिवस (world congenital disorder day) पर यह संख्या जारी कर इन विकारों के बारे में जानकारी बढ़ाने व सावधान रहने की सिफारिश की है।
संगठन ने इन विकारों पर भारत को लेकर अलग से डाटा जारी नहीं किया, लेकिन बताया कि 2014 से भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार और नेपाल में अस्पतालों में होने वाले प्रसव में कुछ आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। इनके अनुसार 2021 में 40 लाख बच्चों का जन्म दर्ज हुआ, जिनमें से 45 हजार में यह जन्मजात विकार मिले।
संगठन की दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह (Dr. Poonam Khetrapal Singh, Regional Director, South-East Asia) ने बताया कि 2019 में विश्व में इस समस्या ने 5.30 लाख बच्चों का जीवन असमय खत्म किया था, इनमें से 1.17 लाख दक्षिण-पूर्व एशिया के थे। यह हमारे यहां बच्चों की मौत की तीसरी बड़ी वजह है। विश्व में नवजात में 12 प्रतिशत मौतें इन विकारों से हो रही हैं। मौत ही नहीं, जीवित रहे बच्चों को जीवन भर स्वास्थ्य समस्याएं व दिव्यांगता भोगनी पड़ सकती हैं। पुणे विश्वविद्यालय के अनुसार, भारत में 2017 में 82 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी।
37 हजार नवजात की मौत जन्म के कुछ दिन बाद ही
पुणे के सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेस के अध्ययनकर्ता धमसागर उजगरे और अनीता कर के अनुसार 2017 में 5 साल से छोटे 82,436 हजार बच्चे जन्मजात विकारों की वजह से मारे गए। 37 हजार की मौत जन्म के कुछ दिनों में ही हो गई थी। उसी वर्ष विश्व में 5,01,764 नवजात की मौत जन्मजात विकारों से दर्ज हुई थी। यह रिपोर्ट 1990 से 2017 के दौरान हुई इन मौतों का भी विश्लेषण करती है और बताती है कि इनमें गिरावट बेहद मामूली है।
क्या हैं यह विकार: इनमें दिमाग, रीढ़ व स्पाइनल में कमजोरी पैदा करने वाले न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, थैलेसीमिया, हृदय की बनावट में विकार, डाउन सिंड्रोम और चेहरे व होठों की बनावट में खामी प्रमुख हैं।
इसलिए होते हैं: संगठन के अनुसार यह विकार एक या एक से अधिक अनुवांशिक वजहों, संक्रमण, पोषण की कमी प्रतिकूल पर्यावरण की वजह से हो सकते हैं।
पहचान: गर्भावस्था, प्रसव या उसके बाद भी सामने आ सकते हैं।
बचाव: गर्भवती महिलाएं एक्स-रे से बचें
सावधानी: डब्ल्यूएचओ ने सिफारिश में कहा है कि गर्भवती महिलाएं अनावश्यक दवाओं का सेवन न करें, बहुत जरूरी न हो तो एक्सरे से भी बचें। साफ पर्यावरण में रहें, जहरीली वायु व वातावरण से दूर रहें। गर्भावस्था में शराब, सिगरेट के धुएं और तंबाकू आदि से भी पूरी तरह दूर रहें।
पोषण: गर्भावस्था और सामान्य समय में भी महिलाएं पोषण व जरूरी तत्वों की कमी को दूर करें। फल, सब्जियां, प्रोटीन व विटामिन से भरपूर भोजन लें। फॉलिक एसिड, बी-12, आयरन लेने पर भी खास ध्यान दें।
जांच: यह गर्भावस्था, प्रसव और जन्म के बाद भी करवाई जा सकती है।
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