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मप्र का हर एक पुलिसकर्मी होगा साइबर एक्सपर्ट

January 18, 2022

  • दिल्ली की तर्ज पर तकनीकी विशेषज्ञों की मदद लेने जा रही मप्र पुलिस

भोपाल। प्रदेश में साइबर अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में अपराधियों से निपटने के लिए प्रदेश के सभी एक लाख बीस हजार पुलिसकर्मियों को साइबर तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए दिल्ली की तर्ज पर तकनीकी विशेषज्ञों की मदद लेने जा रही है। इसके पीछे पुलिस विभाग की मंशा यह है कि अपराध घटित होने से पहले ही साइबर अपराधियों को दबोचा जा सके।
गौरतलब है कि प्रदेश में साइबर अपराधों की जानकारी रखने वाला अमला तो है, लेकिन विशेषज्ञ नहीं हैं। एडीजी साइबर क्राइम योगेश देशमुख ने कहा कि हम प्रदेश के सभी एक लाख बीस हजार पुलिसकर्मियों को साइबर तकनीक का प्रशिक्षण देने जा रहा है। अपराध होने के बाद जानकारी के अभाव में पुलिसकर्मी कार्रवाई नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उनका आत्मविश्वास कमजोर रहता है। जानकारी मिलने के बाद उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी, इससे विवेचना के काम में तेजी आएगी।


14 हजार से अधिक पुलिसकर्मी प्रशिक्षित
एडीजी देशमुख साइबर क्राइम का कहना है कि साइबर अपराधों में बढ़ोतरी हुई है और उसके लिए अमले का प्रशिक्षित होना जरूरी है। अब तक प्रदेश के 14 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। उनके साथ करीब 500 न्यायिक और अभियोजन अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया गया है। लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है। अब तक साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों को जागरूकता अभियान के जरिए जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि अमले को साइबर तकनीक में दक्ष बनाने, साइबर अपराधियों से निपटने और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद लेने में साइबर के क्षेत्र में संसाधनों की दरकार है। इसके लिए शासन भी सैद्धांतिक रूप से सहमत है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मुद्दे पर बैठक ली थी और आगामी कार्ययोजना को लेकर प्रस्ताव मांगा था। प्रस्ताव भेज दिया गया है। चूंकि अपराधों में साइबर अपराध अहम हो गए हैं, इसलिए यह शासन, प्रशासन और पुलिस सभी की चिंता में शामिल है।

100 साइबर थाने और हेल्प डेस्क खोलने का प्लान
एडीजी ने बताया कि हमारी शुरुआती योजना 100 साइबर विशेषज्ञों की मदद लेने की है। उससे वे प्रकरण भी खुलने लग जाएंगे, जिन पर जानकारी के अभाव में काम नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि एक जनवरी से 2021 से अब तक साइबर सेल में 956 प्रकरण दर्ज हैं, जिनकी विवेचना साइबर अधिकारी कर रहे हैं। अधिकारियों की संख्या कम है और विवेचना के हिसाब से प्रकरण ज्यादा है। हमारा प्रयास प्रदेश में 100 साइबर थाने और हेल्प डेस्क खोलने का है। यह साइबर थाने जिलों में एसपी के अधीन काम करेंगे। उनके खुलने के बाद छोटे-छोटे प्रकरण जिलों में निपट जाएंगे। बड़े अपराधों और महत्वपूर्ण प्रकरणों की विवेचना साइबर मुख्यालय में होगी। अभी सभी जिलों के कोतवाली थानों को साइबर का नोडल थाना बनाया गया है, उसके जरिए लोगों की मदद की जा रही है। संसाधनों और तकनीकी विशेषज्ञों की कमी की वजह से उतनी सफलता नहीं मिल पा रही है। हमने इससे पार पाने के लिए खाका तैयार कर लिया है।

13 जिलों में होगी फोरेंसिक साइबर युनिट की स्थापना
एडीजी ने बताया कि राज्य के 13 जिलों में जिला फोरेंसिक साइबर युनिट की स्थापना की जा रही है। इससे लोगों को जल्दी राहत मिलेगी। हमारी कोशिश सभी जिलों में एक यूनिट खोलने की है। वर्तमान में हमारे पास एक मात्र फोरेंसिक लैब है, जहां हर साल 500 डिजिटल साक्ष्यों का परीक्षण कर रिपोर्ट दी जा रही है। भविष्य में निराकृत प्रकरणों की संख्या 2500 तक बढ़ाई जा सकेगी। राज्य के सभी थानों में साइबर डेस्क की स्थापना, तकनीकी उपकरण से परिपूर्ण मोबाइल साइबर फोरेंसिक वैन का हर जिले में संचालन भी हमारी योजना में शामिल है। उन्होंने बताया कि अभी जो अपराध हो रहे हैं, उनमें 52 फीसदी आर्थिक अपराध हैं। करीब 21 प्रतिशत अपराध महिलाओं से जुड़े हैं। साइबर सेल ने महत्वपूर्ण और सनसनीखेज अपराधों का खुलासा किया है। आरोपियों को गिरफ्तार कर राशि की जब्ती भी की गई है।

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