नई दिल्ली: नवरात्रि (Navratri 2023) के 9 दिनों में देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा साधक की 9 कामनाओं को पूरा करने वाली मानी गई है. शक्ति की साधना (cultivation of power) से जुड़े इस पावन पर्व में सातवें दिन देवी दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप (Kalratri form of Goddess Durga) की पूजा का विधान है. खुले केश और काला रंग का शरीर धारण किए देवी कालरात्रि (Goddess Kalratri) काफी भयावह नजर आती हैं. देवी के जिस स्वरूप को देखकर आसुरी शक्तियां कांपती हैं और जिनकी साधना के पुण्यफल से घर में नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) का प्रवेश स्वप्न में भी नहीं होता है, आइए उनकी पूजा विधि, मंत्र और महाउपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं.
मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए साधक को तन और मन से पवित्र होने के बाद देवी कालरात्रि की प्रतिमा अथवा चित्र को गंगाजल से स्नान कराने के बाद उनकी पुष्प, रोली, अक्षत, चंदन, धूप-दीप से पूजा करनी चाहिए इसके बाद मां कालरात्रि को गुड़ और हलवे का भोग लगाकर मां कालरात्रि की कथा कहनी या सुननी चाहिए. कथा कहने के बाद देवी पूजा का अधिक से अधिक पुण्यफल पाने के लिए उनके मंत्र का यथाशक्ति जप करना चाहिए. मां कालरात्रि की पूजा के अंत में उनकी आरती करें तथा उनसे हुई भूल-चूक के लिए माफी मांगे.
हिंदू मान्यता के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा में मंत्र जप का बहुत ज्यादा महत्व है. ऐसे में यदि आप देवी के इस स्वरूप की पूजा का शीघ्र ही पुण्यफल पाना चाहते हैं तो आपको नवरात्रि के सातवें दिन की पूजा में ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम: मंत्र अधिक से अधिक माला जप करना चाहिए. मान्यता है कि इस मंत्र के सिद्ध होते ही साधक पर देवी कालरात्रि की असीम कृपा बरसती है और उसे सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा करने पर साधक के सभी शत्रुओं का नाश होता है और उसे जीवन में कभी कोई भय नहीं सताता है. देवी कालरात्रि की कृपा से वह हमेशा बड़ी बलाओं से बचा रहता है और उस पर हर समय मां कालरात्रि की कृपा बरसती रहती है. देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप की पूजा का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी है. ज्योतिष के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा करने पर व्यक्ति की कुंडली में स्थित शनि संबंधी सभी दोष और उससे होने वाले कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.
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