इन्दौर। देश (country) की युवा आबादी और बच्चों (children )की शिराओं में धीरे-धीरे मीठा जहर घुलने की आशंका से विशेषज्ञों की नींद उड़ी हुई है। चिकित्सकों की माने तो आने वाले समय में मधुमेह रोगियों की संख्या बढऩा तो चिंता की बात है ही लेकिन चिंता का असली कारण यह है कि कम उम्र के लोगों को यह बीमारी अधिक हो रही है। विदेशों में अधिकतर लोगों को उम्र के छठवें दशक में मधुमेह होता है, जबकि भारत में 30 से 45 वर्ष की आयु में ही इस बीमारी की दर सबसे अधिक है।
27 जून को प्रतिवर्ष मधुमेह जागृति दिवस अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। यह दिवस डायबिटिज के रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार समूची दुनिया की बड़ी आबादी मधुमेह से पीडि़त है। भारत को विश्व मधुमेह की राजधानी कहा जाता है। इस समय भारत में हर पांचवां-छठवां व्यक्ति मधुमेह रोगी हो चुका है मधुमेह वृध्दि की दर चिंताजनक है। विश्वभर में इस रोग के निवारण में प्रति वर्ष 250 से 400 मिलियन डॉलर खर्च हो जाता है। हर साल लगभग 50 लाख लोग नेत्रों की ज्योति खो देते हैं और दस लाख लोग अपने पैर गंवा बैठते है। मधुमेह के कारण प्रति मिनट 6 मौते होती हैं और गुर्दे नाकाम होने का यह प्रमुख भी यही है। आज विश्व में लगभग 95 प्रतिशत रोगी टाईप 2 मधुमेह से पीडि़त है। पहले प्रकार का मधुमेह प्राय बचपन या युवावस्था में होता है जिसे टाइप वन मधुमेह कहते हैं, इसमें अग्नाशय ग्रंथि से बहुत कम मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न होती है या बिल्कुल उत्पन्न नहीं होती इसके रोगी को नियमित रुप से रक्त ग्लूकोज़ के नियंत्रण के अलावा जीवित रहने के लिए इंसुलिन लेनी पड़ती है। मधुमेह टाइप-2 मधुमेही अधिक आयु के लोगों में होता है। यह बीमारी तब होती है जब शरीर के घटक इंसुलिन की सामान्य या अधिक मात्रा के लिए बहुत संवेदनशील या प्रतिरोधक होते हैं। इस स्थिति में अग्नाशय से कम इंसुलिन उत्पन्न होती है। इस मधुमेह के कुछ रोगियों के लिए भी इंसुलिन लेना आवश्यक होता है। मधुमेह के पीडि़तों में लगभग 90 प्रतिशत टाइप 2 मधुमेह के रोगी होते हैं। इन रोगियों में रक्त ग्लूकोज अनियंत्रित होने पर शरीर में पानी की अधिकता और नमक की कमी हो जाती है। आंखों की रोशनी जाना, मूत्राशय और गुर्दे का संक्रमण तथा खराबी, धमनियों में चर्बी के जमाव के कारण भी यही हैं।
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