नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhad) ने कहा कि सभी शिक्षित व्यक्ति (Every Educated Person) कम से कम एक अशिक्षित व्यक्ति को शिक्षित करें (Should Teach at least one Uneducated Person) । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए देशवासियों से उपरोक्त संकल्प लेने का आह्वान किया ।
मोर जब नाचता है तो हम प्रसन्नचित होते हैं, पर मोर अपने पांव की तरफ देखा है तो उसके आंसू आ जाते हैं। शिक्षा में यह जो थोड़ी कमी है, यह मोर के पांव हैं, हमें इस कमी को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी एक क्रांतिकारी कदम बताया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि तीन दशक बाद देश में यह क्रांतिकारी कदम उठाया गया। हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषा पर जोर देती है। उन्होंने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को गेम चेंजर करार दिया। उनका कहना है कि यह सभी भारतीय भाषाओं को महत्व देती है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, “मातृभाषा की बात की अलग है। यह वह भाषा है जिसमें हम सपने देखते हैं। हमारा जीवन इन सपनों को ही साकार करने में लगा रहता है। आज पूरे देश में ‘विकसित भारत 2047’ की एक महायात्रा चल रही है। हर कोई इसका हिस्सा है। यह एक हवन हो रहा है, हर कोई इसमें अपनी ओर से आहुति दे रहा है। इस हवन में एक आहुति हमारी यह भी लगनी चाहिए कि हर 6 महीने में हम एक व्यक्ति को शिक्षित करें।”
उन्होंने बताया कि आज रविवार को ऋषि पंचमी है। भारतीय संस्कृति में इसका बहुत बड़ा महत्व है। ऋषि परंपरा का मतलब है कोई भी शासन में हो, कोई भी शासन व्यवस्था हो, सही रास्ता दिखाने का प्रयास ऋषि करते हैं। हमारी हजारों साल की विरासत का यह आधार है। आज के पावन दिन हमारी संस्कृति को नमन करते हुए हमें आदर संकल्प करना चाहिए कि हम अगले 6 महीने में एक व्यक्ति को शिक्षित बनाएंगे, ताकि साल में हम कम से कम दो व्यक्तियों को शिक्षित बना सकें।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया में भारत के मुकाबले कोई देश नहीं है। भाषाओं के मामले में भारत विश्व में अनोखा राष्ट्र है। राज्यसभा में सांसद, 22 अलग-अलग भारतीय भाषाओं में सदन के अंदर बोल सकते हैं। जब राज्यसभा में सांसदों को उनकी भाषा में बोलते हुए सुनता हूं तो मुझे उनकी बॉडी लैंग्वेज ही बता देती है कि वह क्या बोल रहे हैं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि पहली बार जब वह संसद सदस्य बने थे तो भारत की इकोनॉमी लंदन शहर से भी छोटी थी। वहीं, आज हमारी अर्थव्यवस्था पूरे इंग्लैंड से भी ज्यादा बड़ी है।
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