उज्जैन। शहर से रोजाना 220 टन कचरा निकल रहा है जिसमें 25 टन कचरा सिंगल यूज प्लास्टिक व अमानक पालीथिन है। ऐसे में फिलहाल निगम के लिए अमानक प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना किसी चुनौती से कम नहीं। यह कचरा नालों में जाकर फंस जाता है और बहता नहीं। उल्लेखनीय है कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर 1 जुलाई 2022 को प्रतिबंध लगाया गया था लेकिन 400 दिन के बाद इस प्रतिबंध का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। शहर के प्रमुख बाजारों में यह खुले आम बिक रही है और बाजार में दुकानदार बकायदा ग्राहकों को उपलब्ध करा रहे हैं। हालात यह है कि सब्जी, किराना, फल-फूल, दूध सहित अन्य सामग्री ले जाने के लिए दुकानदार पॉलीथिन थमा देते हैं। रोचक बात है कि शहर में प्रतिदिन 220 टन कचरे में 25 टन प्लास्टिक व अमानक पॉलीथिन होती है। नगर निगम के पास तो पॉलीथिन जब्त करने और जुर्माना करने का रिकार्ड तक नहीं है। अधिकारी कुछ भी आंकड़ा बताकर वाहवाही लूट लेते हैं। शासन ने इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में 9 हजार 500 अंक निर्धारित किए हैं जिसमें सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग होता मिलने पर 25 अंक काटने का प्रावधान है लेकिन फिर भी शहर में इसको लेकर गंभीरता दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में अब पूरी जिम्मेदारी दुकानदारों और आमजनों पर है। यदि वे सिंगल यूज प्लास्टिक दुकान में नहीं रखेंगे तभी जनता थैला अपना सकती है। सिर्फ कार्रवाई के सहारे शहर प्लास्टिक व कचरा मुक्त नहीं हो सकता।
इसका कचरा जहरीला हो जाता है और पर्यावरण के लिए खतरनाक
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बिगड़ता पर्यावरण दुनिया के लिए इस समय सबसे बड़ी चिंता है। ऐसे में प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। अकेले उज्जैन शहर में प्रतिदिन 25 टन यानी 2500 क्विंटल प्लास्टिक कचरा निकलता है। इसमें से महज 5 टन कचरे की ही रिसाइक्लिंग हो पाती है। शेष कचरा शहर के बाहर डंप किया जा रहा। कचरे से निकलने वाले खतरनाक रसायन मिट्टी, पानी एवं पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं।
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