स्कूल-कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होने से पड़ा बुरा असर
इंदौर। कोरोना वायरस महामारी से हर उद्योग-धंधे उबरने लगे हैं। स्कूल-कॉलेज भी खुलने जा रहे हैं। खेल भी शुरू हो रहे हैं, लेकिन सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्कूलों में होने वाले विभिन्न कार्यक्रम न होने से अब तक ड्रामा ड्रेस वाले हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। दिन में इक्का-दुक्का ग्राहक आ जाते हैं।
कुछ सालों तक रामबाग स्थित तिलकपथ पर ड्रामा ड्रेसेस की कुछ ही दुकानें होती थीं, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां लगभग 20 दुकानें खुल गईं। पिछले कुछ सालों में तो इनमें एकाएक वृद्धि हुई थी। कमला कला केंद्र के मुकेश करवरिया ने बताया कि इस साल पूरा सीजन ही हमारे लिए शून्य रहा है। मार्च के बाद स्कूल बंद हैं। सार्वजनिक आयोजन बंद हैं। गरबा आयोजन नहीं हुआ। स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं। हर साल अगस्त से सीजन शुरू होता था, जो फरवरी तक चलता था, जिसमें 8 से 10 लाख रुपए का व्यापार हो जाता था, लेकिन इस बार पूरी तरह शून्य है।
वैक्सीन आने पर सब खुलने की उम्मीद
कला मंदिर ड्रामा ड्रेसेस के आतिश प्रजापति ने बताया कि इस समय दुकान का किराया निकालना मुश्किल हो रहा है। कुछ लोग तो दुकानें बंद कर चुके हैं। जिनकी खुद की है, वे ही इस समय खोलकर बैठते हैं। अब तो वैक्सीन का ही इंतजार है। यदि बच्चों को पहले लगती है तो उम्मीद है कि अगले साल हमारा व्यापार सामान्य हो सकेगा। हमारे लिए अन्य खर्चे निकालना मुश्किल हो गया है। लोन, टैक्स भरने के लिए पुरानी बचत से काम चलना पड़ रहा है।
इन दिनों बैठने की फुरसत नहीं मिलती थी
न्यू नटराज कला केंद्र के जयंत गाजरे ने बताया कि दिसंबर माह के अंतिम दिनों में हमें बैठने की फुरसत नहीं मिलती थी। स्कूल-कॉलेजों के इतने आयोजन होते थे कि सुबह से रात तक ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी, लेकिन इस बार कोई ग्राहकी नहीं है। सांता की ड्रेस भी कोई लेने नहीं आ रहा है। शादी-ब्याह में भी इस बार ग्राहकी नहीं रही। बहुत कम लोगों ने किराए के सूट, शेरवानी, लहंगा-चुन्नी लिए। लोग किराए की चीजें पहनने से बचते नजर आए।
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