भोपाल। प्रदेश में सहकारिता से उन्नति का पथ प्रशस्त हो रहा है। सहकारी संस्थाओं द्वारा किसानों को खरीफ और रबी फसल के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने, उन्नत बीज और उर्वरक उपलब्ध कराने के साथ समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं, धान आदि फसलों का उपार्जन किया जा रहा है। सहकारिता विभाग में विभिन्न क्षेत्रों में रजिस्टर्ड समितियां स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ प्रदेश के विकास में योगदान दे रही हैं। अब प्रदेश की 4,534 सहकारी समितियां केंद्र की योजना में शामिल होंगी। इसके लिए सहकारी समितियों का कम्प्यूटराइजेशन किया जाएगा। गौरतलब है की केंद्र सरकार द्वारा गठित सहकारिता विभाग को और प्रभावी बनाने के लिए केंद्रीय बजट 2023-24 में कई प्रावधान किए गए हैं। इनमें से एक प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों की कंप्यूटराइजेशन गति बढ़ाना है। इस निर्णय से मप्र की 4,534 साख सहकारी समितियों का कम्प्यूटराइजेशन का रास्ता खुल गया है। सभी समितियों के लिए विभाग ने पहले से 145 करोड़ का प्लान तैयार किया है और पिछले साल केंद्र सरकार से पहली किस्त के तौर पर 6 करोड़ की राशि भी हासिल कर चुका है।
सहकारिता मंत्री की पहल पर शुरू हुआ प्रयास
जानकारी के अनुसार साख सहकारी समितियों का कंप्यूटराइजेशन करने के लिए दो साल पहले सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया की पहल पर सबसे पहले 11 फरवरी 2021 को एक प्रस्ताव प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति में लाया गया। बैठक में बताया गया था कि प्रोजेक्ट पांच साल के लिए है और इसके लिए करीब 145 करोड़ रु. का खर्च आएगा। 70.37 करोड़ रु. की परियोजना को मंजूरी दी गई। इस निर्णय के कुछ समय बाद केंद्र सरकार की योजना सामने आई कि देश की 63 हजार प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों के कंप्यूटराइजेशन के लिए 2,516 करोड़ का प्रावधान किया गया है। सहकारिता विभाग ने केंद्र सरकार को 19 जुलाई 2022 को पत्र लिखते हुए साधिकार समिति के बैठक में मिली सैद्धांतिक सहमति की जानकारी दी। सहकारिता आयुक्त आलोक कुमार सिंह का कहना है कि केंद्र के बजट में किए गए प्रावधान के अनुसार उम्मीद है कि अब प्रदेश की सभी 4,534 साख सहकारी समितियों का कम्प्यूटराइजेशन हो सकेगा। विभाग इसके लिए पिछले एक साल से प्रयास कर रहा है। केंद्र से परियोजना को मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। 75 लाख किसानों का डेटा तैयार होगा।
75 लाख किसान समितियों से जुड़े
गौरतलब है की प्रदेश में 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों से संबंधित 4,534 प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाएं (पैक्स) कार्यरत हैं। 4,534 पैक्स के कंम्प्यूटरीकरण के लिए कुल लागत 144.75 करोड़ का व्यय भार आएगा, जिसकी 60 प्रतिशत राशि 86.85 करोड़ केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राशि 57.90 करोड़ राज्य शासन देगा। प्रदेश में लगभग 75 लाख कृषक इन समितियों के सदस्य हैं। समितियों के माध्यम से अल्पकालीन, मध्यावधि एवं दीर्घावधि कृषि ऋण वितरण एवं वसूली, किसान क्रेडिट कार्ड का संचालन, बचत बैंक, बचत काउंटर, किसानों को खाद, बीज उपलब्ध कराना। उपार्जन, पीडीएस के लिए खाद्यान्न, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरी, उर्वरक, बीज, कीटनाशक दवाएं आदि बेचने का काम होता है। भारत सरकार की पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना में प्रति पैक्स 3,91,369 रुपए लागत अनुमानित की गई है। इसमें सॉफ्टवेयर सायबर सिक्युरिटी और डाटा स्टोरेज, हार्डवेयर, डिजिटाइजेशन, सपोर्ट सिस्टम और ट्रेनिंग शामिल है। 8 जुलाई 2022 को सचिव सहकारिता भारत सरकार की अध्यक्षता में एनएलएमआईसी की पहली बैठक वीसी द्वारा हुई। सचिव के निर्देश पर प्रदेश की सभी पैक्स का वार्षिक ऑडिट कराया गया। विभाग ने वर्ष 2022-23 के विभागीय बजट में 20 करोड़ रुपए और पहले अनुपूरक अनुमान में 38 करोड़ का प्रावधान किया। विभाग के प्लान को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दी और पहली किस्त के तौर पर 6.46 करोड़ रुपए जारी कर दी। इसकी जानकारी सहकारिता मंत्रालय द्वारा 9 दिसंबर 2022 को पत्र के माध्यम से दी गई। परियोजना को मंजूरी दूसरी नेशनल लेवल मॉनिटरिंग एंड इम्पलीमेंटेशन कमेटी की बैठक में मिली।
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