– फिंगर-5 और फिंगर-8 के बीच किये गए पक्के निर्माण भी हटाए
– पीएलए के सैनिकों ने खुद तोड़े फिंगर-5 के पास बनाए 6 बंकर
नई दिल्ली। भारत के साथ हुए समझौते के बाद चीन (China) ने बड़ी तेजी के साथ पैन्गोंग झील (Pangong lake) के फिंगर एरिया (Finger Area) को खाली करना शुरू कर दिया है। 9 माह से दोनों देशों के बीच मुख्य विवाद की वजह बनी फिंगर-4 की रिजलाइन खाली करने के साथ ही चीनियों ने फिंगर-5 और फिंगर-8 के बीच किये गए पक्के निर्माणों को भी हटा दिया है। भारत ने भी सुरक्षा (Secuity) की दृष्टि से उन स्थानों से सैनिकों को कम कर दिया है, जहां दोनों सेनाओं के बीच टकराव हुआ था। भारत और चीन को यह एरिया 20 फरवरी तक खाली करना है, जिसका सत्यापन होने के 48 घंटों के भीतर कोर कमांडर स्तर की बैठक होगी।
पैन्गोंग झील के उत्तरी तट पर फिंगर-4 क्षेत्र के पहाड़ की चोटी मई, 2020 से चीनी सैनिकों के कब्जे में थी। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) ने झील में अपने गश्ती बेड़े में अग्नि शस्त्रों से सुसज्जित दो दर्जन से अधिक नावें तैनात कर रखी थीं। इसी तरह पीएलए ने फिंगर-5 (Finger 5) के पास कुल 6 बंकरों (Bunkers) का निर्माण भी किया था। 9 माह तक चले गतिरोध के दौरान चीन के सैनिक यहां से हटने को तैयार नहीं थे लेकिन आखिरकार भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुए आपसी समझौते के तहत लद्दाख (Ladakh) में पैन्गोंग झील के फिंगर एरिया को खाली करना पड़ रहा है। इस प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फिंगर-4 से चीनी सैनिकों की काफी कमी हो गई है। चीन ने फिंगर-5 और फिंगर-8 के बीच अपने 5 आश्रयों और अन्य पक्के निर्माणों को भी हटा दिया है। चीन ने फिंगर एरिया से भी कम से कम 100 भारी वाहन पीछे किये हैं।
अधिकारियों ने कहा कि पैन्गोंग झील में फिंगर-5 और 6 के बीच चीन ने अपनी अतिरिक्त नावों के लिए तमाम प्लेटफॉर्म बनाये थे, उन्हें भी हटा दिया गया है। मौजूदा तनाव शुरू होने से पहले ये जेटी फिंगर-8 के बाद हुआ करते थे। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ स्थित पैन्गोंग झील का क्षेत्र 8 फिंगर्स में विभाजित है। करीब 134 किलोमीटर लंबीपैन्गोंग झील का दो तिहाई हिस्सा चीन के पास है, जबकि करीब 45 किलोमीटर (45KM) का हिस्सा भारत के पास है। पैन्गोंग झील के उत्तरी किनारे पर भारतीय क्षेत्र फिंगर-8 तक है। यही कारण है कि भारत ने चीन के साथ मौजूदा समझौते में फिंगर 8 तक गश्त के अधिकार को बनाए रखा है, इसीलिए चीन को फिंगर-8 तक का इलाका खाली करने बात माननी पड़ी है। इसके साथ ही भारत ने भी उन स्थानों से सैनिकों की संख्या को कम कर दी है, जहां चीनी सैनिकों से आमने-सामने टकराव होने की नौबत थी।
दक्षिणी किनारे से भी पीछे किये गए टैंक
पैन्गोंग झील के दक्षिणी तट पर दोनों देशों के टैंक (Tank) कई जगहों पर महज 100 मीटर की दूरी पर फायरिंग रेंज में आ गए थे जिसकी वजह से कभी भी टकराव का आशंका बनी रहती थी। अब समझौते के बाद मुख्य युद्धक टैंकों को दोनों तरफ से कुछ किमी. की दूरी पर खींच लिया गया है। इससे अब भारत-चीन के सैनिकों के टैंकों की दूरी बढ़ गई है। भारत और चीन के बीच दक्षिणी किनारे पर अगस्त के अंत में तब टकराव बढ़ा था जब भारतीय सेना ने कैलाश रेंज की महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया। इसी दौरान 45 साल के इतिहास में पहली बार एलएसी पर हवा में फायरिंग तक हुई थी।
सूत्रों का कहना है कि समझौते के मुताबिक इस सप्ताह के अंत तक पैन्गोंग झील के दोनों किनारों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया समाप्त होनी चाहिए। एक बार प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और 900 वर्ग किमी डेप्सांग प्लेन जैसे अन्य विवादित क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए कोर कमांडर स्तर की बैठक 48 घंटों के भीतर होगी। एक अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक प्रयास गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स (Gogra and Hot Springs) को हल करने के लिए किया जाएगा। डेप्सांग प्लेन का समाधान खोजने में अधिक समय लग सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद के दोनों सदनों में दिए गए अपने बयान ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेप्सांग सहित अन्य विवादित क्षेत्रों का मुद्दा पैन्गोंग झील के दोनों किनारों से डिसइंगजमेंट की प्रक्रिया पूरी होने के 48 घंटे के भीतर चीन के साथ उठाया जाना है। (एजेंसी, हि.स.)
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