इंदौर (Indore)। नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के इंदौर आगमन के मद्देनजर जहां माता अहिल्या से नेपाल के राजा से राखी रिश्ते सामने आए, तो यह भी पता चला कि काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में हर शिवरात्रि को पहली पूजा का अधिकार अहिल्या माता होल्कर को आज भी है। होल्कर राज परिवार की ओर से ही पहली पूजा की जाती है। इसके साथ ही इतिहास के कुछ अन्य रोचक पन्ने भी सामने आए, जिससे पता चला कि देश में जो 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं वहां आज भी पहली पूजा अहिल्या माता की ओर से ही की जाती है और होल्करों द्वारा नियुक्त पंडे-पुजारियों के वंशज आज भी शिवरात्रि या अन्य विशेष अवसरों पर इन ज्योतिर्लिंगों में पहली पूजा करते हैं। दिल्ली का संसद भवन और राष्ट्रपति भवन भी होल्करों की जमीन पर बना है।
सोशल और अन्य मीडिया में यह खबर भी खूब वायरल हुई कि नेपाल के महाराजा को अहिल्याबाई ने राखी भेजी थी और इसके बदले नेपाल के महाराजा ने जब उपहार देना चाहा तो उसके बदले अहिल्याबाई होल्कर ने पहली पूजा का अधिकार मांगा, जो ग्वालियर के साथ-साथ नेपाल महाराज ने भी सहर्ष स्वीकार कर लिया। तब से लेकर अब तक यह परम्परा कायम है और काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में पहली पूजा अहिल्याबाई होल्कर की ओर से आज भी होती है। यही स्थिति उज्जैन के महाकालेश्वर सहित 12 ज्योतिर्लिंगों में भी है। इस बात की पुष्टि देवी अहिल्याबाई होल्कर पर लिखी किताब से भी होती है। जाने-माने इतिहासकार और होल्कर राजवंश के ज्ञाता स्व. गणेश मतकर ने इस पर कई किताबें लिखी हैं, जिसमें इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है।
उनके बेटे सुनील मतकर ने अग्निबाण को उससे संबंधित तथ्य भी उपलब्ध कराए, जिससे यह भी पता चला कि होल्कर राजवंश के 1911 के दस्तावेजों में लिखा है कि दिल्ली का रायसिना ग्राम इंदौर के होल्करों का ही था, जिसे तत्कालीन होल्कर नरेश ने इस रायसिना ग्राम को ब्रिटिश के अधीन सौंपा था। आज राष्ट्रपति भवन और संसद भवन भी इसी जमीन पर बना है। यह भी उल्लेखनीय है कि अहिल्याबाई होल्कर ने अपने 30 सालों के शासनकाल में देशभर में मंदिर, घाटों, धर्मशाला, कुएं-बावडिय़ों के निर्माण कार्य भी करवाए और आज भी ये सम्पत्तियां होल्कर ट्रस्ट के अधीन ही है, जिसको लेकर पिछले दिनों विवाद भी हुए और हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट से इस संबंध में महत्वपूर्ण फैसले भी आए। इस तरह की कई रोचक जानकारियां अहिल्याबाई होल्कर से जुड़ी है। अभी नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के इंदौर आगमन के चलते इतिहास के कई पन्ने खुले और उन्होंने भी माता अहिल्याबाई होल्कर को याद किया और भारत-नेपाल के बीच पुरातन संबंधों की जानकारी भी दी।
वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री श्री प्रचंड ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का कल की मुलाकात के दौरान कहना कि हम अपने रिश्तों को हिमालय जितनी ऊंचाई देने के लिए काम करते रहेंगे और इसी भावना से, हम सभी मुद्दों का, चाहे बाउंड्री का हो या कोई और विषय, सभी का समाधान करेंगे यह हमारे लिये खुशी और गर्व का विषय है। श्री प्रचंड ने कहा कि मेरा प्रधानमंत्री के रूप में भारत भ्रमण चौथी बार हो रहा है। इस बार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और नेपाल के बीच जो सहमति हुई है, यह दूर तक जाने वाली सहमति है। कनेक्टीविटी, वॉटर रिसोर्स, ऊर्जा के क्षेत्र में जो सहमति बनी है, उसके दूरगामी परिणाम मिलेंगे। मैं नेपाल जाकर नेपाली जनता को बताऊंगा कि भारत नेपाल के बीच संबंधों में नए इतिहास की शुरूआत हुई है। भारत नेपाल के संबंधों में नए आयाम जुड़े है।
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