उज्जैन। आवारा मवेशी के हमले से शहरवासी आए दिन घायल हो रहे हैं। दो दिन पहले इस समस्या को लेकर नगर निगम में प्रतिपक्ष के पार्षद भी आयुक्त से मिले थे। हालत यह हो गई है कि गली मोहल्लों के साथ-साथ अब रेलवे ट्रेक तक पशुओं के झुंड पहुँच गए हैं। दो माह पहले शासन भी सड़क पर मवेशी पाए जाने पर जुर्माने का प्रावधान कर चुका है लेकिन नगर निगम की रूचि न तो जुर्माना वसूलने में है और न ही मवेशियों को पकडऩे में।
शहर में आवारा मवेशियों की समस्या कम होने की बजाय और बढ़ती जा रही है। पुराने शहर के साथ-साथ नई बसाहट वाले क्षेत्रों में भी मवेशी पालकों ने कालोनियों के गेट तक जाकर मवेशियों को अंदर छोडऩा शुरु कर दिया है। विरोध करने पर कई मवेशी पालक विवाद से भी नहीं चूक रहे हैं। शहर की आंतरिक सड़क से लेकर बाहरी मार्गों तक मवेशियों के झुंड बीच सड़क में नजर आ रहे हैं। इधर हरिफाटक ब्रिज के समीप रेलवे ट्रेक के समीप भी दर्जनों मवेशियों के झुंड जुटे रहते हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि कई बार तो ट्रेनों की आवाजाही के बीच भी मवेशी पटरियों तक पहुँच जाते हैं। इससे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है।
यह नजारे आए दिन मीडिया के कैमरों में कैद हो रहे हैं लेकिन नगर निगम की मवेशी पकडऩे वाली गैंग और जवाबदार अधिकारियों को नहीं दिखाई दे रहे हैं। तीन दिन पहले एक व्यक्ति को गाय ने मारकर गंभीर घायल कर दिया था। मामला थाने तक पहुँचा था और इसके बाद नेता प्रतिपक्ष रवि राय तथा कांग्रेसी पार्षद इस समस्या के निदान के लिए निगमायुक्त रोशन कुमार सिंह से भी मिले थे। इधर कपिला गौशाला में क्षमता से अधिक करीब 1100 मवेशी मौजूद हैं। इस कारण नगर निगम शहर में मवेशी पकडऩे का अभियान नहीं चला रहा। दूसरी ओर लगभग 2 महीने पहले राज्य शासन पशु पालकों पर सड़क पर मवेशी छोडऩे पर 1 हजार रुपए जुर्माना वसूलने का प्रावधान कर चुका है। लोगों का कहना है कि नगर निगम अगर मवेशी नहीं पकड़ रहा तो कम से कम सड़क पर घूम रहे पशुओं के मालिकों से जुर्माना तो वसूल सकता है।
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