इंदौर। ऩई पीढ़ी को इंदौर (Indore) की विरासतों से रूबरू करवाने के लिए जिला प्रशासन (District Administration) और नगर निगम (Municipal Corporation) ने पिछले रविवार के इंदौर हेरिटेज वॉक (Indore Heritage Walk) की शुरुआत की है। आज दूसरे रविवार को इंदौर (Indore) की विरासतों के बारे में जानने के लिए नेहरू पार्क बाल विनय मंदिर (Nehru Park Bal Vinay Mandir) के एनसीसी कैडेट्स (NCC Cadets) पहुंचे। बच्चों ने न केवल इतिहासकारों से यहां की धरोहरों की जानकारी ली, बल्कि सवाल भी किए।
आज सुबह सीपी शेखर नगर उद्यान (Shekhar Nagar Udyan) से निकली हेरिटेज वॉक (Heritage Walk) में दो इतिहासकारों के साथ 25 से ज्यादा कैडेट्स और स्मार्ट सिटी (Smart City) के अधिकारी शामिल हुए। नगर निगम इंदौर (Indore Municipal Corporation) के साथ शहर के 4 इतिहासकार काम कर रहे हैं, जो हर रविवार इस वॉक में बच्चों को हर जानकारी देंगे। आज बच्चों को इतिहासकार शर्वाणी और प्रवीण श्रीवास्तव (Praveen Srivastava) ने धरोहरों की जानकारी दी। इस वॉक में सबसे पहले बच्चों को वायएन रोड (YN Road) स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India) के सामने लाकर शर्वाणी द्वारा इंदौर में बैंक के आने के इतिहास के बारे में बताया गया। इतिहासकार प्रवीण श्रीवास्तव ने बच्चों को राजबाड़ा (Rajbara) की जानकारी दी। उनसे बच्चों ने जाना कि इंदौर का हृदय स्थल कहा जाने वाला राजबाड़ा मुगल, मराठा और फ्रेंच कलाओं से निर्मित है। राजबाड़ा के पिलरों को ध्यान से देखने पर हमें उसमें फ्रेंच और मराठा कला की झलक नजर आती है। तीन आर्किटेक्चर के मिश्रण राजबाड़ा पर फिलहाल रेस्टोरेशन का काम चल रहा है। वहीं इतिहासकार शर्वाणी ने हर कामयाबी के जश्न को राजबाड़ा आकर मनाने की वजह बताई। उन्होंने बच्चों से कहा कि मां अहिल्या के समय से यहां हर त्योहार मनाया जाता रहा है और ये परंपरा आज भी कायम है। इसलिए चाहे नंबर वन आने की बात हो या कोई बड़ा मैच जीतने की, लोग यहां आकर जश्न मनाना पसंद करते हैं। आज भी राजबाड़ा पर होली, दिवाली, मोहर्रम (Holi,Diwali,Mharram) जैसे प्रमुख त्योहार पर परंपरा निभाई जाती है।
संडला से बनी है इमारत
वॉक में राजबाड़ा के सामने बच्चों ने इतिहासकारों से सवाल पूछे कि उस समय इमारतें किस मटेरियल से बनाई जाती थीं, जो इतनी मजबूत होती थीं। सवाल के जवाब में प्रवीण श्रीवास्तव ने बच्चों को बताया कि पहले इमारत संडला से बनाई जाती थी। संडला को चूना, ईंट की सुर्खी, मैथीदाना, रस्सी के टुकड़े, बेल फल सहित कुछ अन्य मटेरियल से घट्टे से पिसकर तैयार किया जाता था, जिसके बाद इमारतों को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। स्मार्ट सिटी की इस हेरिटेज वॉक में दो और इतिहासकार जफर अंसारी और प्रशांत इंदूरकर भी जुडक़र जानकारी देंगे।
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