इंदौर, राजेश ज्वेल। बीते 20 सालों से गृह निर्माण संस्थाओं के फर्जीवाड़े की जांच के कई अभियान चलते रहे हैं, जिनमें भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ-साथ उनके कब्जे से जमीनों को छुड़वाकर पीडि़तों को भूखंड भी दिलवाते जाते रहे हैं। लेकिन आश्चर्य की बात है कि एक भी भूमाफिया को अभी तक कोर्ट से सजा नहीं दिलवाई जा सकी। अधिकांश जमानत पर बाहर घूम रहे हैं। दीपक मद्दा अवश्य अभी जेल में बंद है, जिस पर ईडी ने भी शिकंजा कस रखा है। अभी त्रिशला गृह निर्माण की जांच करने और एफआईआर करवाने वाले राजस्व, सहकारिता और पुलिस विभाग के अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज किया है, जिसको लेकर अग्निबाण के खुलासे के बाद भोपाल तक हल्ला मचा है। दूसरी तरफ लोकायुक्त ने अभी जो प्रकरण दर्ज किया और जो उसमें तर्क दिए उसके ठीक विपरित लोकायुक्त खुद दीपक मद्दे की चर्रित हिना पैलेस कॉलोनी के मामले में प्रकरण दर्ज करने के बाद भू-घोटाला प्रमाणित होना भी बताया और फिर गुपचुप खात्मा पेश कर डाला।
देश की बड़ी जांच एजेंसी ईडी पर जहां विपक्ष को परेशान करने के आरोप लग रहे हैं, तो राज्य की जांच एजेंसियां भी इन आरोपों से बच नहीं सकी है। उस पर भी इसी तरह के आरोप लगते रहे हैं। ईओडब्ल्यू से लेकर लोकायुक्त का भी इस्तेमाल होता रहा है, तो दूसरी तरफ ये एजेंसियां खुद पहले तो जोर-शोर से प्रकरण दर्ज करती है, फिर सालों बाद गुपचुप खात्मा पेश कर देती है। अभी त्रिशला गृह निर्माण के मामले में लोकायुक्त ने अलीराजपुर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर, तत्कालीन नायब तहसीलदार रीतेश जोशी सहित तत्कालीन थाना प्रभारी और सहकारिता निरीक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसको लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई, क्योंकि जिस 15 एकड़ जमीन को सरकारी घोषित किया गया उसमें दस्तावेजी प्रमाण ही ढेर सारे हैं, जिसके आधार पर पुलिस प्रशासन और सहकारिता विभाग ने दीपक मद्दे सहित अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए हैं और ईडी ने भी त्रिशला गृह निर्माण के मामले में मद्दे के खिलाफ कार्रवाई की है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि लोकायुक्त ने अभी जिस तरह अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर एक तरह से भूमाफिया की मदद से, दूसरी तरफ कुछ साल पहले भी इन्हीं भूमाफियाओं के खिलाफ लोकायुक्त प्रकरण दर्ज कर खात्मा पेश कर चुका है, जिसमें दीपक मद्दे की चर्चित कॉलोनी हिना पैलेस का मामला भी शामिल है।
निगम ने कुछ साल पहले अवैध तरीके से अवैध हिना पैलेस को वैध कर दिया था, जिसकी शिकायत लोकायुक्त में हुई, जिसमें सीलिंग की धारा 20 में मिली छूट के दुरुपयोग के साथ धारा 420, 467, 468, 471, 406 और 120-बी के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए, जिसमें मद्दे सहित धवन बंधुओं को भी आरोपी बनाया गया और लोकायुक्त ने अपनी 4 पेज की रिपोर्ट में इसे एक बड़ा भू-घोटाला भी बताया। मगर कुछ समय बाद गुपचुप खात्मा कर डाला। लोकायुक्त इस तरह के पूर्व में भी कई कारनामे कर चुका है। जबकि उसकी नियुक्ति ही भ्रष्टाचार से लडऩे वाले संगठन के रूप में की गई है।
तिलक नगर थाने पर दर्ज हुई एफआईआर की भी कर दी जांच शुरू
एक तरफ त्रिशला गृह निर्माण के मामले में अधिकारियों पर प्रकरण दर्ज किए गए तो दूसरे तिलक नगर थाने में मद्दे के खिलाफ जो एफआईआर दर्ज योजना 140 की जमीन के संबंध में की गई थी उसके बेटे द्वारा की गई शिकायत पर भी लोकायुक्त ने पुलिस के खिलाफ ही जांच शुरू कर दी है। यह मामला भी त्रिशला गृह निर्माण से ही जुड़ा है, जिसमें एक एनआरआई सिद्धार्थ पोखरना की शिकायत पर पुलिस ने मद्दे के अलावा बम बंधुओं पर एफआईआर दर्ज की थी।
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