इंदौर। पिछले कुछ सालों से इंदौर पुलिस (Indore Police) के लिए वाहन चोरी (Vehicle Theft) एक बड़ी समस्या बन चुकी है, लेकिन पुलिस कमिश्नरी (Police Commissionerate) लागू होने के बाद भी पुलिस इस पर अंकुश नहीं लगा सकी। इस साल भी 2900 से अधिक गाडियां शहर से चोरी हुई हैं। इस हिसाब से हर माह 250 गाडिय़ां चोर ले गए।
पिछले छह साल से शहर में वाहन चोरी के मामले काफी बढ़े हैं। इसके चलते पुलिस के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। यहां तक कि लॉकडाउन में भी वाहन चोरी पर अंकुश नहीं लग सका था। इस साल भी यह सिलसिला जारी रखा है। हालांकि पुलिस ने शहर में चोरों के मिले फुटेज के बाद यह पता लगा लिया था कि सब से अधिक गाडिय़ां कौन चुरा रहा है। पूर्वी क्षेत्रों के थानों से जहां देवास का कंजर गिरोह गाडिय़ां चुराता है तो पश्चिम क्षेत्र के थानों और देहात से धार-टांडा का गिरोह गाडिय़ां चुराता है। इसके चलते पुलिस ने इस साल एक योजना के तहत हर माह कंजरों के डेरे और धार टांडा में छापे मारे। इससे कुछ लगाम लगी, लेकिन कुछ दिन के लिए ही। इस दौरान पुलिस ने कई बार डेरों से बड़ी संख्या में गाडिय़ां जब्त की थीं, वहीं कुछ दिन पहले बागली पुलिस ने 110 गाडिया जब्त की थीं। इनमें से 50 गाडियां इंदौर से चुराई गई थीं। बताते हैं कि पुलिस हर साल बीस प्रतिशत गाडिय़ां ही जब्त कर पाती हैं, लेकिन इस बार बरामदी 40 प्रतिशत बताई जा रही है, लेकिन पुलिस वाहन चोरी रोकने में असफल रही है, वहीं सूत्रों का कहना है कि साल का अंतिम महीना होने से वाहन चोरी के कई मामले दर्ज नहीं हुए हैं। इसके चलते अनुमान है कि इस साल तीन हजार गाडिय़ां चोरी हुई हैं।
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