नई दिल्ली: हरियाणा में बीजेपी विधायक दल की बैठक (BJP legislative party meeting in Haryana) के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Chief Minister Manohar Lal Khattar) ने इस्तीफा दे दिया. उनके बाद नायब सिंह सैनी (Naib Singh Saini) को नए मुख्यमंत्री (new chief minister) बनाने की घोषणा की गई. शाम को उन्होंने हरियाणा (Haryana) के नए सीएम के तौर पर पद व गोपनीयता की शपथ ली. सीएम नायब सिंह सैनी ओबीसी समुदाय (OBC community) से हैं. उनको बीते दिनों ही हरियाणा बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. वह कुरुक्षेत्र से सांसद हैं.
सीएम सैनी के सीएम बनने के बाद मनोहर लाल खट्टर का नाम राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री की सूची में दर्ज हो गया. क्या आप जानते हैं कि खट्टर को बतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री अब क्या-क्या सरकारी सुविधाएं मिलेंगी? हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने 2013 में एक ऐसा फैसला लिया, जिससे अगर कोई नेता एक बार राज्य का मुख्यमंत्री बन गया, तो समझो उसकी लॉटरी निकल गई. तत्कालीन सीएम हुड्डा की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने फैसला लिया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को पूरी उम्र कैबिनेट मंत्री का दर्जा समेत तमाम सरकारी सुविधाएं मिलेंगी.
हरियाणा की तत्कालीन सरकार ने ये फैसला राजस्थान, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्मंत्रियों को मिलने वाली सुविधाओं को देखते हुए लिया था. इसका सीधा मतलब है कि मनोहर लाल खट्टर को बतौर पूर्व सीएम तमाम सरकारी सुविधाएं मिलती रहेंगी. आम भाषा में कहें तो ताउम्र उनका ठाठबाट जस का तस बना रहेगा. हुड्डा सरकार के फैसले से पहले तक हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री को सामान्य पूर्व विधायक के बराबर सुविधाएं ही मिलती थीं.
हुड्डा सरकार के 2013 में लिए फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्य मुख्यालय यानी कि चंडीगढ़ में किरायामुक्त सुसज्जित सरकारी आवास मिलेगा. साथ ही उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलेगा. इसके अलावा उन्हें एक निजी सचिव, एक असिस्टेंट, एक ड्राइवर, चार निजी सुरक्षा अधिकारी और दो सेवादार भी मिलेंगे.
राजस्थान में पूर्व सीएम को राज्य या जिला मुख्यालय पर सुसज्जित सरकारी आवास, निजी सचिव, मंत्री के समान प्रोटोकॉल, एक यूडीसी, एक एलडीसी, दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, ड्राइवर के साथ सरकारी गाड़ी, हर माह 250 लीटर पेट्रोल और हर महीने 1,000 यूनिट बिजली खर्च मिलता है.
प्रदेश में इस समय तीन पूर्व मुख्यमंत्री हैं. इनमें ओमप्रकाश चौटाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनोहर लाल खट्टर शामिल हैं. अगर किसी पूर्व सीएम को किसी दूसरे पद पर रहते हुए पहले ही राज्य मुख्यालय पर सुविधाएं मिल रही हों तो उनके पास दो विकल्प हैं. वह दूसरे पद की सुविधाएं रख सकते हैं. वहीं, अगर वह नहीं चाहते तो पूर्व सीएम के तौर पर मिलने वाली सुविधाएं ले सकते हैं.
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