नई दिल्ली। देश में सरप्लस स्टॉक के बावजूद कोरोना वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) के निर्यात (Export) में परेशानी आ रही है। दरअसल डेलिवरी में दिक्कतों के कारण भारत कई देशों में वैक्सीन नहीं भेज पा रहा है। इनमें कई ऐसे भी देश शामिल हैं जहां पर बेहद कम वैक्सीनेशन (Low Vaccination) हुआ है। कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कांफ्रेंस के दौरान सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है-कुछ देशों में सिर्फ 10 से 15 फीसदी आबादी का वैक्सीनेशन हुआ है. उन्हें इसे 60 से 70 प्रतिशत तक ले जाने की जरूरत है।
इसी कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल (DR. VK Paul) से पूछा गया कि भारत के पास जब पर्याप्त वैक्सीन स्टॉक मौजूद है तो फिर एक्सपोर्ट में क्या दिक्कत है? इस पर उन्होंने जवाब दिया-डिबेट इस बात पर होनी चाहिए कि हम डेलिवरी को तेज कैसे कर सकते हैं, कई देशों में वैक्सीनेशन कैसे बढ़ाया जा सकता है, विशेष तौर पर अफ्रीकी देशों में।
अफ्रीका में एकाएक बढ़ी वैक्सीन डेलिवरी
अफ्रीकी की हेल्थ बॉडी ने बीते महीने कहा था कि उसके कई देश इस वक्त वैक्सीन डेलिवरी सिस्टम से जूझ रहे हैं क्योंकि कई महीने के गैप के बाद एकाएक वैक्सीन डेलिवरी बढ़ गई है. बता दें कि अफ्रीका की कुल 130 करोड़ आबादी में अब तक 8 प्रतिशत लोगों का ही वैक्सीनेशन हो पाया है. वहीं भारत में अगले महीने तक करीब 94 करोड़ आबादी के पूरे वैक्सीनेशन का लक्ष्य बनाया गया है।
भारत में घरेलू उत्पादन पर्याप्त
बीते महीने के दौरान भारत में 25.2 करोड़ वैक्सीन डोज मांग हुई जबकि घरेलू उत्पादन क्षमता करीब 34.5 करोड़ है. ये क्षमता भी मुख्य रूप से तीन कोरोना वैक्सीन की है. इसके अलावा भी देश में कई वैक्सीन पर काम चल रहा है।
इस साल अप्रैल महीने के मुकाबले सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड के प्रोडक्शन में चार गुना तक का इजाफा हो चुका है. भारत में अब तक सबसे ज्यादा डोज कोविशील्ड के ही लगाए गए हैं. लेकिन अब कंपनी के पास सरकार की तरफ से कोई ऑर्डर नहीं है।
सीरम इंस्टिट्यूट को मिला कम ऑर्डर
भारत सरकार की तरफ से वैक्सीन एक्सपोर्ट पर बैन हटाए जाने के बाद कोवैक्स सुविधा के तरह सीरम इंस्टिट्यूट को अब तक सिर्फ चार करोड़ डोज का ऑर्डर मिला है. दरअसल कोवैक्स के पास 55 करोड़ कोविशील्ड डोज खरीदने का विकल्प है लेकिन अब कोवैक्स सिर्फ SII पर ही निर्भर नहीं है. कोवैक्स के सीईओ बेकर गावी ने कार्यक्रम के दौरान कहा-ये भारत के लिए महत्वपूर्ण है कि वो मुश्किल वक्त में दुनिया के लिए फार्मेसी की पोजीशन बनाए रखे. अन्यथा देशों के पास अन्य विकल्प भी मौजूद हैं।
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