भोपाल। प्राइस सपोर्ट स्कीम (price support scheme) के तहत इस वर्ष की गई मूंग खरीदी (bought moong) में किसान परेशान दिखाई दे रहा है। बीते 5 अगस्त तक हुई मूंग की खरीदी में अब तक किसानों के खातो में भुगतान (Payments into farmers accounts) नहीं पहुंच सका है, जिससे किसान अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा है। इस वर्ष समर्थन मूल्य पर मूंग का विक्रय करने के लिए 29448 किसानों ने पंजीयन कराकर 27301 किसानों ने स्लॉट बुक की थी।
अंतिम तिथि तक 26022 किसान ने 717340 क्विंटल मूंग का विक्रय भी कर दिया था। किसानों को भरोसा था कि जिस तरह से मूंग की तिथि आगे बढ़ाई गई हैं वैसे ही सरकार किसानों के खातो में सात दिन के अंदर उपज का भुगतान भी कर देगी। लेकिन मूंग का विक्रय किये हुए 25 दिन से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन हजारों किसानों के खातो में अब तक मूंग का भुगतान प्राप्त नहीं हो सका है। जिससे किसान प्रतिदिन बैंको व अधिकारियों के चक्कर काटता दिखाई दे रहा है।
बता दें कि इस वर्ष प्राइज सपोर्ट स्कीम के तहत शासन द्वारा 24 जून से 31 जुलाई तक ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदी किए जाने के आदेश जारी किए गए थे। लेकिन मूंग उपार्जन का कार्य खरीदी से 15 देरी से शुरू हुआ। इसके चलते किसानों को लंबा इंतजार करना पड़ा। खरीदी शुरू भी हुई और किसानों ने स्लॉट बुकिंग भी की, लेकिन गोदामों पर स्लॉट बुकिंग फुल होने से कई किसान अंतिम तिथि तक मूंग का विक्रय करने से वंचित रह गए। जिन किसानों ने मूंग का विक्रय किया इनमें से आधे किसानों के खातो में भी मूंग का भुगतान हो सका है।
इस वर्ष एनसीसीएफ द्वारा मूंग की खरीदी की गई, जिसमें केंद्र सरकार का लक्ष्य सीहोर जिले में 4 लाख क्विंटल तय किया गया था। लेकिन किसानों के विरोध के बाद तिथि में संशोधन कर पांच दिन और खरीदी की गई, जिससे खरीदी का आंकड़ा 7 लाख क्विंटल को पार कर गया। केंद्र सरकार द्वारा तय लक्ष्य के अनुसार किसानों को 61.48 फीसदी याने 613 करोड़ में से 377 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। अब भी 236 करोड़ का भुगतान किसानों को होना शेष है। ऐसे में किसान लगातार बैंकों में अपने खातो की जानकारी ले रहा है, लेकिन खातो में राशि ना आने से वह मायूस दिखाई दे रहा है। किसानों को भुगतान कब तक प्राप्त होगा, इस बारे में अधिकारी भी किसानो को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं।
मूंग का विक्रय कर भुगतान का इंतजार कर रहे किसान शोभाराम मुकाती, पर्वत सिंह उईके, जय प्रकाश पंवार, अनिरूद्ध मालवीय व दिनेश पंवार बताते हैं कि हमने खरीदी शुरू होने के 10 दिन के अंदर ही मूंग का विक्रय केंद्रों पर कर दिया। हमारे बाद जिन किसानों ने मूंग तुलाया उनके खातो में मूंग की राशि आ चुकी है, लेंकिन हमारे खाते अब भी खाली है। मूंग पैदा करने के लिए जिन दवा, बीज विक्रेताओं से उधार में सामान लिया अब वह हमें परेशान कर रहे हैं। कई किसानों को तो मजदूरी का भी भुगतान करना है, लेकिन राशि ना होने से सब परेशान हैं। किसानों ने बताया कि भुगतान कब तक आएगा। इस बारे में अधिकारी भी सिर्फ आश्वासन ही दे रहे हैं।
इस वर्ष मौसम की अनुकूलता के चलतें क्षेत्र में मूंग का उत्पादन भी विपुल हुआ और दाने में भी बोल्ड पका। बावजूद इसके खरीदी में सर्वेयरों व सुपरवाइजरों की संदिग्ध भूमिका के चलतें कई गोदामों पर किसानों के पंजीयनों पर व्यापारिक सौदा हुआ, जिसमें 68912 हजार क्विंटल मूंग जांच के दौरान 25 गोदामों में नान एफएक्यू पाया गया। इसके चलते जिला उपार्जन समिति द्वारा गोदामों की स्टेक का रिजेक्ट कर उसका अपग्रेडेशन कराए जाने के निर्देश दिए गए। लेकिन कुछ गोदाम संचालक मूंग की छनाई में भी लापरवाही कर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं।
गोदाम संचालकों को मूंग की छनाई में लाखों रुपए की चपट लग रही है, जिससे वह इस मामले में फर्जी रिपोर्ट बनाकर जिला उपार्जन समिति को सौंपने की तैयारी में है। इस संबंध में उप संचालक कृषि केके पाण्डे ने बताया कि अब तक जिलेभर में हुई मूंग खरीदी में 613 करोड़ में से 377 करोड़ का रुपए का भुगतान किसानों को हो चुका है। शेष किसानों को भी शीघ्र ही भुगतान प्राप्त होगा। भुगतान कब तक किसानों के खातों में आएगा यह शासन स्तर का मामला है।
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