इंदौर। धार जिले के कारम डैम का मामला सुर्खियों में है। गनीमत रही कि कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई। मगर आसपास के ग्रामीणों, किसानों की फसलें सहित अन्य सम्पत्ति की नुकसानी हुई है। इंदौर स्थित जल संसाधन विभाग ने लिपापोती करते हुए कल दोनों ठेकेदार कम्पनियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया। मजे की बात यह है कि चार साल पहले भी ये दोनों कम्पनियां विभाग द्वारा ब्लैक लिस्टेड की जा चुकी है और थोड़े ही दिन बाद फिर ठेका बहाल कर दिया।
अग्निबाण ने ही सबसे पहले कारम बांध घोटाले का पर्दाफाश किया, जिसमें यह साबित किया कि जो तीन हजार करोड़ का ई-टेंडर घोटाला 2018 में उजागर हुआ था उसमें इस बांध का भी ठेका शामिल था और विभागीय मंत्री तुलसीराम सिलावट ने अभी कुछ समय पूर्व ही विधानसभा में दिए जवाब में यह भी स्वीकार किया कि राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने कारम बांध ठेके को लेकर भी एफआईआर दर्ज की है। मगर राजनीतिक दबाव-प्रभाव के चलते ठेकेदार फर्म पर कार्रवाई होना तो दूर, ईडी के छापों के बाद भी पूरा घोटाला फाइलों में दफन हो गया।
अभी जब कारम बांध के फूटने की स्थिति निर्मित हो गई, जिसके चलते ताबड़तोड़ 18 गांव खाली करवाना पड़े और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से लेकर पूरी सरकारी मशीनरी आपदा प्रबंधन में जुटी और बांध में भरा हुआ पानी निकाला गया और कोई बड़ी जनहानि नहीं हो सकी। चूंकि पीएमओ से भी इसकी मॉनिटरिंग की जा रही थी, लिहाजा अब नर्मदा, तापती, कछार के इंदौर स्थित जल संसाधन विभाग ने कल ताबड़तोड़ एक आदेश जारी कर 99.86 करोड़ रुपए में 10.08.2018 को एएनएस कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. नई दिल्ली को जो ठेका दिया था और इस कम्पनी ने इस ठेके को सार्थी कंस्ट्रक्शन ग्वालियर को सबलेट 50 फीसदी कार्य करने के लिए सौंप दिया। मजे की बात यह है कि लगभग 100 करोड़ रुपए के मूल ठेके के विपरित विभाग ने 304 करोड़ रुपए का काम मंजूर करवा दिया। अब मुख्य अभियंता सीएस घटोले ने इन दोनों कम्पनियों को ब्लैक लिस्टेड करने का आदेश जारी कर दिया। जबकि चार साल पहले भी ये कम्पनियां ब्लैक लिस्टेड की जा चुकी थी और थोड़े ही दिन बाद राजनीतिक रसूख, मंत्रियों और अफसरों की मिलीभगत के चलते फिर से बहाल कर दी गई।
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