नई दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से अफगानिस्तान में फंसे सभी भारतीयों को तत्काल सुरक्षित बाहर निकालने की अपील की है. उन्होंने वहां गुरुद्वारे में फंसे 200 सिख समुदाय के लोगों को भी जल्द बाहर निकालने को कहा है. काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां से बाहर निकलने को लेकर अफरा तफरी मची हुई है. पड़ोसी मुल्क में तालिबान ने सत्ता पर कब्जा जमा लिया है.
अफगानिस्तान में दहशत का मौहाल है. अफगानिस्तान में लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं. इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर लिखा, अफगानिस्तान का तालिबान के कब्जे में होना हमारे देश के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. इससे पाकिस्तान और चीन के संबंधों को भारत के खिलाफ मजबूती मिलेगी. चीन ने पहले ही उइगर मुस्लिमों को लेकर मिलिशिया की मदद मांगी है. ये अच्छे संकेत नहीं है, अब हमें सीमा पर और सचेत रहने की जरूरत है.
Urge @DrSJaishankar, MEA, GoI, to arrange for immediate evacuation of all Indians, including around 200 Sikhs, stuck in a Gurudwara in Afghanistan after the #Taliban takeover. My govt is willing to extend any help needed to ensure their safe evacuation. @MEAIndia
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) August 16, 2021
रविवार को 103 दिनों की जंग के बाद हमारे पड़ोसी देश अफगानिस्तान की आज़ादी तालिबान ने छीन ली. सभी बड़े शहरों, गांवों को अपने कब्ज़े में करते हुए आख़िरकार कल तालिबान अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंच गया. इससे पहले तालिबान ने सभी बॉर्डर क्रासिंग को अपने कब्जे में ले लिया. जिसके बाद अफगानी सेना ने भी आत्मसमर्पण कर दिया.
वहां फंसे लोग जल्द से जल्द काबुल छोड़ना चाह रहे हैं. काबुल एयरपोर्ट पर भी अफरा तफरी और भगदड़ का माहौल बना हुआ है. वहीं अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी और उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह ने देश छोड़ दिया है. राष्ट्रपति अशरफ ओमान में अमेरिकी एयरबेस पर पहुंचे हैं. कहा जा रहा है कि वह जल्द अमेरिका जाएंगे. उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है.
अशरफ गनी ने सोशल मीडिया पर एक बयान में कहा- ‘आज मेरे सामने एक कठिन चुनाव आया कि या तो मुझे हथियारों से लैस तालिबान का सामना करना चाहिए जो महल में घुसना चाहता था या फिर अपने प्यारे मुल्क जिसकी बीते 20 सालों में सुरक्षा के लिए मैंने अपनी ज़िंदगी खपा दी उसे छोड़ दूं.’ उन्होंने कहा कि अगर इस दौरान अनगिनत लोग मारे जाते और हमें काबुल शहर की तबाही देखनी पड़ती तो उस 60 लाख आबादी के शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो जाती.
खून की नदियां बहने से बचाने के लिए मैंने सोचा कि देश से बाहर जाना ही ठीक है. तालिबान ने तलवार और बंदूकों के दम पर जीत हासिल की है और अब तालिबान देशवासियों के सम्मान, धन और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जिम्मेदार है. मगर वो दिलों को जीत नहीं सकते हैं. इतिहास में कभी भी किसी को सिर्फ़ ताक़त से ये हक़ नहीं मिला है और न ही मिलेगा. अब उन्हें एक ऐतिहासिक परीक्षा का सामना करना है, या तो वो अफ़ग़ानिस्तान का नाम और इज़्ज़त बचाएंगे या दूसरे इलाक़े और नेटवर्क्स.”
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