नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा व संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस से कच्चे तेल की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि, यूरोपीय संघ के देशों में इस पर सहमति नहीं है। 27 यूरोपीय देशों में 12 ने रूस से आयात बंद कर दिया है, जबकि 15 देश अब भी खरीदारी कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जर्मनी ने रूस के खिलाफ जल्दबाजी में कदम उठाने के खिलाफ चेतावनी दी है।
उसे लगता है कि इससे अर्थव्यवस्था मंदी में फंस सकती है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि पोलैंड की तरह जर्मनी भी इस साल के अंत तक रूस से तेल आयात बंद कर सकता है। हंगरी भी रूस पर प्रतिबंध का विरोध कर रहा है। कई यूरोपीय देश अपनी छवि बचाने या संभावित कानूनी उलझनों से बचने के लिए स्वेच्छा से रूस से कच्चा तेल खरीदने से परहेज कर रहे हैं।
इन्होंने छोड़ा साथ
भारत और चीन अब भी कर रहे हैं रूस से आयात
इस बीच, भारत और चीन का रूस से आयात जारी है। रूसी कंपनियों पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद छूट के चक्कर में भारत ने फरवरी अंत में कम-से-कम 1.3 करोड़ बैरल कच्चा तेल खरीदा है। 2021 में उसने 1.6 करोड़ बैरल तेल खरीदा था।
बफर पूंजी की अभी जरूरत नहीं : आरबीआई
आरबीआई ने मंगलवार को कहा कि मौजूदा उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए बनाई गई पूंजी व्यवस्था यानी ‘बफर’ पूंजी का अभी जरूरत नहीं है। इसलिए अभी इसका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि प्रति चक्रीय बफर पूंजी (CCYB) संकेतकों की समीक्षा और विश्लेषण के आधार पर यह निर्णय किया गया है। सीसीवाईबी व्यवस्था के तहत बैंकों के लिए जरूरी है कि वे अच्छे समय में पूंजी बफर बनाएं, जिसका उपयोग कठिन समय में हो।
महंगाई के बीच खाद्य तेल की खुदरा कीमतें न बढ़ाएं सदस्य : एसईए
खाद्य तेल उद्योग के प्रमुख संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए मंगलवार को अपने सदस्यों से अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) नहीं बढ़ाने की अपील की है। एसईए के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने सदस्यों को लिखे पत्र में कहा कि देश खाद्य तेलों की ऊंची कीमतों से जूझ रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध से स्थिति और खराब हो गई है। आम जनता महंगाई से जूझ रही है। ऐसे में दाम बढ़ाने का फैसला उचित नहीं है।
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