पेरिस: यूरोपीय देश (European countries) यूक्रेन (ukraine) युद्ध में अपने टैंकों (tank) के खराब प्रदर्शन को देखते हुए एक नए मुख्य युद्धक टैंक (main battle tank) के विकास में जुटे हैं। उनकी कोशिश एक ऐसा शक्तिशाली टैंक बनाने की है, जो युद्ध के मैदान में उनके दो दुश्मनों रूस (Russia) और चीन (China) को टक्कर दे सके। इस परियोजना पर फ्रांस और जर्मनी के बीच कई दौर की बात हो चुकी है। ऐसा लग रहा है कि पोलैंड की सबसे बड़ी सैन्य कंपनी पीजीजेड ने भी इस परियोजना में शामिल होने का फैसला किया है। हालांकि, इस परियोजना के समय से पूरा होने की संभावना काफी कम है। यूरोपीय देश पहले से ही ब्रिटिश चैलेंजर टैंक, जर्मन लेपर्ड टैंक और अमेरिकी अब्राम टैंक का इस्तेमाल कर रहे हैं।
रूस ने यूरोपीय टैंकों को किया धुआं-धुआं
यूरोपीय देशों ने रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन को दर्जनों की संख्या में अपने मुख्य युद्धक टैंक सप्लाई किए थे। इनमें ब्रिटिश चैलेंजर और जर्मन लेपर्ड टैंक प्रमुख थे। यूक्रेन ने भी फ्रंटलाइन पर इन टैंकों का इस्तेमाल किया, लेकिन ये रूसी सेना की गोलीबारी के आगे टिक नहीं सके। रूसी हमलों ने पूर्वी यूक्रेन को इन यूरोपीय टैंकों का कब्रगाह बना दिया। बड़ी बात यह भी थी कि ये यूरोपीय टैंक पूर्वी यूक्रेन की गीली जमीन पर अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर सके। यह भी एक बात रही कि यूक्रेनी सैनिक इन यूरोपीय टैंकों को ऑपरेट करने के इतने अभ्यस्त नहीं हुए थे, जिस कारण रूस को इन्हें निशाना बनाने में कोई समस्या नहीं हुई।
अमेरिकी सेना के रिटायर्ड कर्नल ने क्या कहा
अमेरिकी सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल और अनुभवी अंतरराष्ट्रीय सलाहकार अर्ल रासमुसेन का कहना है कि यूरोपीय संघ द्वारा यूरोपीय संघ के सदस्यों की सेनाओं के लिए एक नया मुख्य युद्धक टैंक डिजाइन करने के कदम से तत्काल भविष्य में कोई सार्थक परिणाम मिलने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं इस पर सफलता की संभावना के बारे में निश्चित नहीं हूं। यदि यह सफल होता है, तो इसमें कई साल लगेंगे।” उनके अनुसार, एक हथियार प्रणाली के विकास में आमतौर पर 7 से 10 साल का समय लगता है। वास्तविक विकास और प्रोटोटाइप के अलावा, इस उपक्रम में शामिल पक्षों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास पर्याप्त उत्पादन क्षमताएं हैं।
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