नई दिल्ली । दुनिया भर में डेल्टा के बाद अब कोरोना (corona) के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (New Variants Omicron) के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत (India) में केंद्र सरकार ने राज्यों को हर स्तर पर सावधानी बरतने का निर्देश दे दिया है. इन बढ़ते हुए केसों से अंदाजा लगाया जा रहा है कि 2022 में भी कोरोना महामारी (Corona Epidemic) से मुक्ति नहीं मिलने वाली.
अभी दुनियाभर को ओमिक्रॉन से मुक्ति मिल नहीं पाई थी कि कोरोना के एक और नए वैरिएंट ‘डेल्मिक्रॉन’ (Delmicron) ने सबकी चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि यूरोप और अमेरिका में केस बढ़ने के पीछे Delmicron वैरिएंट ही है.
क्या है Delmicron वैरिएंट?
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट के म्यूटेशन से नया वैरिएंट Delmicron बना है. यही वैरिएंट अमेरिका और यूरोप में तबाही मचा रहा है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
जब इस बारे में एम्स (AIIMS) के प्रोफेसर डॉ संजय राय से बात की, तो उन्होंने बताया कि अभी इस बात के सबूत नहीं है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन ने मिलकर Delmicron वैरिएंट बनाया है. अभी तक जो डेटा मिला है, उससे ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता चला है. रिसर्च में पता चला है कि यह काफी संक्रामक है. उन्होंने कहा कि कोरोना का वैरिएंट लगातार म्यूटेशन कर रहा है. ऐसे में दो या उससे अधिक वैरिएंट मिलकर नया वैरिएंट बना सकते हैं. अभी तक 30 से ज्यादा म्यूटेशन सामने आ चुके हैं. डॉ संजय राय ने भी बताया कि हम अभी से यह भी नहीं कह सकते कि कोई वैरिएंट कितना खतरनाक हो सकता है. इसके लिए तो हमें समय का ही इंतजार करना पड़ेगा. सिर्फ समय ही बताएगा कि कोरोना का कौन सा वैरिएंट पिछले वैरिएंट की तुलना से कितना घातक हो सकता है.
बच्चों में वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं- डॉ संजय राय
भारत सरकार की NTAGI कमेटी ने हाल ही में सिफारिश की है कि देश में बच्चों को वैक्सीन की जरूरत नहीं है. इसे लेकर जब आजतक ने एम्स में ‘कोवैक्सीन’ के ट्रायल के प्रमुख इन्वेस्टिगेटर संजय राय से सवाल किया, तो उन्होंने बताया कि बच्चों में वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है.
संजय राय ने कहा, कोरोना से बच्चों में मृत्युदर काफी कम है. जब हम वयस्कों की बात करते हैं, तो 45 साल से ऊपर कोरोना से वैक्सीनेशन के बिना मृत्युदर 1.5% है. यानी कोरोना से 1 मिलियन पर 15 हजार लोगों की मौत हो रही है. वैक्सीनेशन से इनमें से हम 80-90% लोगों को बचाने में सफल हो रहे हैं. हालांकि, वैक्सीन के साइडइफेक्ट से 1 मिलियन पर 10-15 लोगों की जान जा रही है. यानी हम 13-14000 लोगों की जान बचाने में सफल हो रहे हैं. यह उपयोगी और फायदेमंद हैं. लेकिन जब बच्चों की बात करें तो कोरोना से मृत्युदर सिर्फ 2 है. ऐसे में हम बच्चों में अगर वैक्सीनेशन करते हैं और साइड इफेक्ट से 10-15 बच्चों की जान जाती है, तो उससे बेहतर है कि हम वैक्सीनेशन न करें. यानी सरकार कुछ भी फैसला लेने से पहले सभी पहलुओं पर जांच की जाएगी. मुझे लगता है कि बच्चों में वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, अगर बच्चों में वैक्सीनेशन से मौतें होती हैं, तो कौन इसके लिए जिम्मेदार है.
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