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    मध्यप्रदेश को पुनर्स्थापन नीति से 200 करोड़ की आय का अनुमान

  • July 13, 2021

    पुनर्स्थापन नीति से होगी जल भंडारण क्षमता विकसितः मुख्यमंत्री

    भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि पुनर्स्थापित नीति के तहत जल भंडारण क्षमता का सिंचाई, पेयजल एवं औद्योगिक प्रयोजन (Irrigation, drinking water and industrial purpose of water storage capacity under resettlement policy) के लिए उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने कि कहा प्राप्त गाद को कृषकों को वितरित करने से खेतों की उर्वरा क्षमता में वृद्धि से फसलों की पैदावार में सहायक होगी। पुनर्स्थापित जल भंडारण क्षमता से बांधों के जीवन काल में वृद्धि हो सकेगी। ड्रेजर एवं हाइड्रो साइक्लोन इकाई के संचालन से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर तो प्राप्त होंगे ही साथ ही रेत के विक्रय से शासन को लगभग 200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।

    मुख्यमंत्री चौहान सोमवार शाम को जल संसाधन एवं एनव्हीडीए के तहत जलाशयों की जल भंडारण क्षमता को विकसित करने के लिये पुनर्स्थापन नीति की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित विभागीय अधिकारी मौजूद थे।


    बैठक में बताया गया कि प्रदेश में जलाशयों के जल भंडारण क्षमता को विकसित करने के उदेश्य से जलाशयों का पुनर्स्थापन नीति के तहत गहरीकरण किया जाएगा। योजना के प्रथम चरण में शहडोल स्थित बाण सागर परियोजना, होशंगाबाद स्थित तवा परियोजना, जबलपुर स्थित रानी अवंती बाई सागर परियोजना एवं खंडवा में इंदिरा सागर परियोजना का गहरीकरण किया जाएगा।

    गाद और मिट्टी के कारण भराव क्षमता में आई कमी

    बैठक में बताया गया कि राज्य की उपरोक्त 4 वृहद परियोजना की कुल भंडारण क्षमता में 24 हजार 590 मिलियन घन मीटर में से 1280 मिलियन घन मीटर की कमी आई है। गाद और रेत के कारण वर्ष 1988 में रानी अवंती बाई सागर परियोजना में 300 मिलियन घन मीटर की कमी आई, वहीं तवा परियोजना में 250, इंदिरा सागर परियोजना में 550 मिलियन घन मीटर एवं बाण सागर परियोजना में 180 मिलियन घन मीटर की कमी आँकी गई।
    पुनर्स्थापन नीति के अंतर्गत जलाशय से गाद निकालकर प्राप्त सिल्ट एवं रेत को पृथक किया जाएगा। इसमें गाद में 15-40 प्रतिशत रेत की मात्रा होना आंकलित किया गया है। जलाशयों से गाद निकालने की निविदा अवधि 15 वर्ष की सुनिश्चित की गई है। ठेकेदार के कार्य की गुणवत्ता के आधार पर ये अवधि 5 वर्ष के लिए बढ़ाई जा सकेगी। निविदत्त दरों पर 8 प्रतिशत प्रतिवर्ष की वृद्धि देय होगी। (एजेंसी, हि.स.)

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