वाराणसी। कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देख श्मशान घाट तक अर्थी को ले जाने के लिए अपनों और पड़ोसी का साथ नहीं मिल रहा है। लोग इस कदर डरे हैं कि अर्थी को कंधा देने में परहेज कर रहे हैं। सभी की मानवता मर गई है। कोरोना ने अपनों को पराया कर दिया। समाज मे दूरियां बढ़ गई हैं। बाप बेटे को, पत्नी पति को और पड़ोस को समाज से अलग कर दिया है।
वाराणसी में चल रहा था इलाज
इसका जीता जागता उदाहरण वाराणसी में देखने को मिला है। जहां पर गाजीपुर निवासी अनीता शर्मा की बीते दिनों तबीयत खराब हो गई। तबीयत खराब होने के बाद पति रामचंद्र शर्मा और बेटी पूजा शर्मा मां को इलाज के लिए काशी ले आए। यहां पर अपने रिश्तेदार के यहां रह कर मां का इलाज करवा रही थी। इस दौरान बीते बुधवार को उनकी हालत बिगड़ने लगी। जिसके बाद पति और बेटी उन्हें मंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां पर इलाज के दौरान अनीता ने दम तोड़ दिया।
बेटी ने दिया कंधा
इलाज में पैसे खर्च हो जाने के कारण रामचंद्र शर्मा के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करा पाए। इसके बाद एक समाजसेवी की मदद से अंतिम क्रिया की सामाग्री जुटाई। फिर शव को श्मशान तक ले जाने की तैयारी शुरू कर दी। इस दौरान शव को कंधा देने के लिए चार कंधें नहीं मिल पाए। जब काफी प्रयास के बाद भी कंधा देने के लिए लोग नहीं मिले तो बेटी पूजा ने मां को कंधा दिया।
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