भोपाल। महिला एवं बाल विकास विभाग में पांच साल पहले हुए आयरन फ्रेम बोर्ड घोटाले में अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ जांच करेगा। विभाग ने प्रकोष्ठ को प्रकरण सौंपने की तैयारी कर ली है। महिला एवं बाल विकास संचालनालय ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जो शासन को भेजा जा रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग इसमें निर्णय लेगा। ठेकेदार, विभाग और बोर्ड का काम सौंपने वाली एजेंसी के अधिकारियों ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया था। जांच में पांच करोड़ 75 लाख रुपये की गड़बड़ी सामने आई है। महिला और बच्चों से संबंधित योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए प्रदेश के लगभग सभी जिलों में आठ गुणा 10 फीट के आयरन फ्रेम बोर्ड लगवाए गए थे। विभाग ने पहले ही चरण में संबंधित एजेंसी को 3097 बोर्ड के लिए दो करोड़ 87 लाख 40 हजार रुपये का भुगतान कर दिया था।
इसके बाद किस्तों में और राशि दी गई। जब विभाग के दो अधिकारियों ने जिलों का दौरा किया, तो हकीकत सामने आ गई। अधिकारियों को कुछ जिलों में तय स्थान पर या तो बोर्ड दिखाई ही नहीं दिए और दिखाई भी दिए, तो आकार में काफी छोटे थे। अधिकारियों की रिपोर्ट से मामले का खुलासा होने के बाद प्रदेश के सभी जिलों में लगाए गए बोर्डों का सत्यापन कराया गया। जब सभी जिलों में एक जैसे हालात सामने आए, तो विभाग ने जांच शुरू की और पांच करोड़ 75 लाख रुपए से अधिक की गड़बड़ी पकड़ में आई।
बगैर सत्यापन कर दिया भुगतान
निविदा की शर्तों के अनुसार एजेंसी को जिलों में लगाए गए बोर्डों के कम से कम 50 फोटो खींचकर विभाग को भेजने थे। भुगतान से पहले विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी और जिला जनसंपर्क अधिकारी को सत्यापन करना था पर ऐसा नहीं हुआ। संचालनालय के अधिकारियों ने आनन-फानन में बगैर सत्यापन के एजेंसी को भुगतान कर दिया।
मैदानी अधिकारियों ने किया प्रमाणित
एजेंसी को भुगतान करना था, इसलिए संचालनालय के अधिकारियों ने जिला कार्यक्रम अधिकारी और बाल विकास परियोजना अधिकारियों पर दबाव बनाया और उन्होंने बोर्ड के बिल के पीछे ही हस्ताक्षर कर बोर्ड लगाने की पुष्टि कर दी। जिस आधार पर एजेंसी को भुगतान कर दिया गया। ये सभी अधिकारी अब जांच की जद में हैं। इनमें से कुछ अधिकारी वर्तमान में विभिन्न् विभागों में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं।
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