- 1500 रुपए की रसीद वालों का प्रवेश जारी रहा लेकिन आम लोगों को रोकना पड़ा
उज्जैन। लंबे अरसे के बाद मंदिर के गर्भगृह में लोगों का प्रवेश शुरु हुआ लेकिन भीड़ बढ़ी तो उन्हें रोकना पड़ा। हालांकि 1500 रुपए की जिसने रसीद कटवाई थी उसे गर्भगृह में जाने दिया गया। मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर कई बात सामने आ रही है तथा लोग नाराजगी भी व्यक्त कर रहे हैं, ऐसे में बदलाव की जरूरत है। कोरोना के कारण महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश मार्च 2020 से बंद कर दिया गया था। लगभग 21 महीने बाद आज फिर से इसकी शुरुआत हुई है और सुबह कई श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश मिला। हालांकि भीड़ बढऩे पर गर्भगृह में प्रवेश रोक दिया गया था। महाकालेश्वर मंदिर समिति ने पिछले हफ्ते हुई बैठक में निर्णय लिया था कि आज 6 दिसंबर से श्रद्धालुओं को महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश तथा जल चढ़ाने की अनुमति शुरु कर दी जाएगी। भक्त इसका पिछले 21 महीने से इंतजार कर रहे थे।
हालांकि इसमें कई शर्तें भी रखी गई है। 1500 रुपए की अभिषेक रसीद कटवाने वाले श्रद्धालुओं को गर्भगृह में जाकर जल चढ़ाने के लिए सभामंडप की ओर से चाँदी द्वार से गर्भगृह में प्रवेश दिया जा रहा था। प्रवेश व्यवस्था में 1500 रुपए की रसीद पर दो श्रद्धालु, लघु रूद्र की रसीद पर तीन श्रद्धालु तथा महारूद्र रसीद पर 5 श्रद्धालुओं को गर्भगृह से भगवान महाकाल के दर्शन कराए जा रहे थे। इधर सुबह 9 बजे तक आम श्रद्धालुओं के साथ-साथ रसीद वाले श्रद्धालुओं को गर्भगृह में जाने का अवसर मिलता रहा लेकिन सोमवार के कारण आज जब भीड़ बढ़ी तो 9 बजे बाद रसीद वाले श्रद्धालुओं को छोड़कर आम श्रद्धालुओं का गर्भगृह में प्रवेश रोक दिया गया। उल्लेखनीय है कि कई महीनों से गर्भगृह के साथ-साथ नंदी हाल में भी श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद रखा गया था। भीड़ बढऩे के बाद आज सुबह फिर गर्भगृह और नंदी हाल में भक्तों का प्रवेश रोकना पड़ा और सभामंडप में रैलिंग के पीछे से लोगों को दर्शन कराए गए। आज से शुरु हुई नई व्यवस्था में हालांकि भस्मारती में अभी भी आम श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित ही रखा गया है क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर का खतरा है।