नई दिल्ली (New Delhi)। भारत में अभियंता दिवस (Engineers Day ) यानी इंजीनियर डे 15 सितंबर को मनाया जाता है। 15 सितंबर भारत के एक सिविल इंजीनियर और राजनेता सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (Sir Mokshagundam Visvesvaraya) का जन्मदिन है। उनका जन्मदिवस इंजीनियर्स डे (Sir Mokshagundam Visvesvaraya) के रूप में मनाया जाता है़ लेकिन क्या आप जानते हैं की, इंजीनियर डे क्यों मनाया जाता है? इसका महत्व क्या है।
जानकारी के लिए बता दें कि हर साल देश में 15 सितंबर का दिन इंजीनियर्स डे (Engineer’s Day ) के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन देश के महान इंजीनियर और भारत रत्न से सम्मानित मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (Mokshagundam Visvesvaraya) को समर्पित है। एम विश्वेश्वरैया ने राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान दिया था। ऐसे में उनके जन्मदिन 15 सितंबर को देश भर में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। सिविल इंजीनियर विश्वेश्वरैया ने आधुनिक भारत के बांधो, जलाशयों और जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। सरकार ने साल 1955 में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था।
इंजीनियर्स डे का महत्व
भारत इंजीनियरिंग एवं आईटी के क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश माना जाता है। भारत में बहुत सारे इंजीनियरिंग संस्थाएं हैं और इंजीनियरिंग के बहुत सारे कोर्स भी हैं. किसी भी देश को विकसित बनाने में इंजीनियर्स की मुख्य भूमिका रहती है। इंजीनियर्स को आधुनिक समाज की रीढ़ माना जाता है। बिना इंजीनियर के किसी भी देश का विकास असंभव है।
सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के बारे में:
उन्होंने हैदराबाद के लिए बाढ़ सुरक्षा प्रणाली भी तैयार की, जिससे उन्हें भारत में सेलिब्रिटी का दर्जा मिला। वह मुख्य अभियंता के रूप में मैसूर में कृष्णा राजा सागर बांध के निर्माण के लिए जिम्मेदार थे। उन्होंने मैसूर राज्य के दीवान के रूप में कार्य किया। उनके अद्भुत योगदान को देखते हुए उन्हें 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
उनके उल्लेखनीय योगदान को याद करने के लिए, हम भारतीय उनका जन्मदिन हर वर्ष इंजीनियर दिवस के रूप में मनाते हैं।
भारत सरकार ने उनके जन्म दिन के मौके पर इंजीनियर्स डे मनाने का फैसला किया। साल 1968 में इसका ऐलान किया गया था। इसके बाद हर साल आज के दिन इंजीनियर दिवस मनाया जाता है। वो सिविल इंजीनियर होने के साथ-साथ राजनेता और मैसूर के 19वें दीवान भी बनें। उन्होंने 1883 में पूना के साइंस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद अपने करियर की शुरुआत बॉम्बे लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता के रूप में की थी। उन्होंने मैसूर में कृष्णा राजा सागर बाँध का विकास, दक्कन के पठार में सिंचाई सिस्टम, हैदराबाद के लिए बाढ़ सुरक्षा जैसे कई कठिन काम किए थे। MV सर को कर्नाटक का भागीरथी भी कहा जाता है।
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