भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि विश्व सिकल सेल दिवस पर जनजाति बहुल क्षेत्रों में जागरूकता और जाँच का कार्य अभियान स्तर पर किया जाये। तहसील स्तर पर स्क्रीनिंग का कार्य कार्यक्रम बना कर किया जाना चाहिए। राज्यपाल पटेल शुक्रवार को राजभवन में स्वास्थ्य, आयुष एवं जनजाति कार्य विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा कर रहे थे। जनजाति कार्य और अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह भी उपस्थित थी।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश हैं कि देश में वर्ष 2047 के बाद सिकल सेल रोग से पीडि़त कोई भी बच्चा जन्म नहीं ले, इस दिशा में तेजगति से कार्य किया जाए। राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में सिकल सेल रोग उन्मूलन के लिए सक्रियता से कार्य किया जाये। कार्य की सफलता का पैमाना यह है कि स्क्रीनिंग में एक भी सिकल सेल वाहक छूटे नहीं। सभी वाहकों को कार्ड उपलब्ध हो जाए, जिससे वाहक युवक-युवती आपस में विवाह नहीं करें। स्क्रीनिंग की कार्य अवधि ग्रामीणों की सुविधा के अनुसार निर्धारित की जाये। स्क्रीनिंग कार्य की जानकारी का माइक से एनाउंसमेंट कर प्रसार किया जाये। आशा कार्यकर्ताओं को स्क्रीनिंग कार्य का आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया है। अभियान के दौरान उनकी सेवा और कौशल का प्रभावी उपयोग किया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि विश्व सिकल सेल दिवस-19 जून के कार्यक्रमों के संबंध में जन-प्रतिनिधियों को भी सूचित किया जाये। सिकल सेल वाहक और रोगी के अनुभवों को साझा करने के कार्यक्रम किए जाएँ। कार्यक्रमों में विशिष्ट व्यक्तियों को भी आमंत्रित किया जाए। कार्यक्रम स्थल पर आयुष दवाइयों और हर्बल उत्पादों की प्रदर्शनी के साथ ही आयुष विशेषज्ञों के परामर्श काउन्टर की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
बताया गया कि एम्स भोपाल में संचालित लेब द्वारा नवजात शिशुओं की जन्म के 72 घंटे के अंदर विशेष जाँच की जा रही है। अब तक 1369 सेंपल की जाँच कर 40 सिकल सेल वाहक की पहचान की गयी है। विश्व सिकल सेल दिवस पर सिकल सेल स्क्रीनिंग एवं परामर्श शिविर होंगे। सिकल सेल मरीजों को ट्रीटमेंट एवं फॉलो अप कार्ड तथा काउंसलिंग कार्ड का वितरण किया जाएगा। सभी जनजाति बहुल जिलों में स्वयं-सेवी संगठनों के माध्यम से सिकल सेल रोग के प्रति जागरूकता के लिए रैली, नुक्कड़ नाटक तथा ग्राम पंचायत स्तर पर शपथ ग्रहण समारोह होंगे। सिकल सेल रोगियों को औषधियों का वितरण, पेरेटंल डायग्नोसिस और नवजात शिशुओं की जाँच के लिए कार्यशालाएँ भी होगी।
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