भोपाल। भारत सरकार की अभिरक्षा में खाली पड़ी शत्रु संपत्तियों के दिन अब फिरने वाले हैं। सरकार अब इन संपत्तियों का क्रय-विक्रय करने के दिशा में भी विचार कर रही है। इसको लेकर जितनी भी शत्रु संपत्तियां है उनकी खोज परख शुरू हो गई है। इस क्रम में ऐसी सभी संपत्तियों का सबसे पहले डिजिटलीकरण किया जाएगा। इसके लिए रिमोट सेंसिंग के जरिए इन जमीनों के ई-मैप (डिजिटल मैप) भी बनाए जाएंगे। इसके लिए जिलों से आवश्यक जानकारी तलब की गई है। भोपाल, सतना, डिंडौरी, जबलपुर, खंडवा, मंडला और सिवनी में कार्यवाही होगी।
गौरतलब है कि शत्रु संपत्ति को लेकर केंद्र सरकार ने कानून में परिवर्तन किया है। अब ये संपत्तियों पर केंद्र सरकार के अधीन होगी। इसके लिए फिर से जांच-पड़ताल शुरू हो रही है। उधर, राजधानी सहित आसपास स्थित शत्रु सम्पत्तियों की सूची लगातार सिमटती जा रही है। शत्रु सम्पत्ति की जद में आई नवाब सम्पत्ति की सूची वर्ष 2013 में लंबी थी। इसमें 133 प्रॉपर्टी की जानकारी थी। लेकिन वर्ष 2022 की स्थिति में इसमें 30 प्रॉपर्टी की जानकारी रह गई है। इसमें से भी काफी प्रॉपर्टी निजी हाथों में जा चुकी हैं। सिर्फ एक नानी की हवेली के नामांतरण पर कलेक्टर की तरफ से रोक लगाई गई है।
कम होती चली गई शत्रु संपत्ति
जानकारी के अनुसार 9 साल पहले सर्वे में जिन प्रॉपर्टी को शत्रु सम्पत्ति माना था उनके संबंध में उसी समय दो दर्जन दावेदार सामने आ गए। भोपाल, सीहोर और रायसेन की ये प्रॉपर्टी मिली भगत से सूची से हटती चली गईं। जानकारों की मानें तो इसमें खसरों तक से नाम हटाए गए हैं। कहीं नानी की हवेली भी इस सूची से न हट जाए इस कारण इस पर रोक लगी है। अचानक कम हुई इन सम्पत्तियों को लेकर मुम्बई स्थित शत्रु सम्पत्ति कार्यालय के अफसरों ने भी आपत्ति जताई है। इसी कारण से उनका दौरा लेट हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि टीम ये दौरा टाल भी सकती है, क्योंकि उनके यहां आने से सिर्फ विवाद की स्थिति ही बनेगी।
कई संपत्तियां निजी हाथों में
दरअसल, भारत सरकार की अभिरक्षा में खाली पड़ी शत्रु संपत्तियों के दिन अब फिरने वाले हैं। सरकार अब इन संपत्तियों का क्रय विक्रय करने के दिशा में भी विचार कर रही है। इसको लेकर जितनी भी शत्रु संपत्तियां है उनकी खोज परख शुरू हो गई है। इसके लिए मुम्बई स्थित शत्रु सम्पत्ति कार्यालय से एक टीम आने वाली है। दरअसल, वो जिस सूची की पड़ताल करेंगे उनमें से काफी निजी हो चुकी है। बड़े होटल तक खुल चुके हैं। नवाब हमीदुल्ला खान की करीब 133 से ज्यादा संपत्तियां भोपाल, रायसेन, सीहोर जिले में हैं। इनमें से कई के मामले हाइकोर्ट तो कुछ के सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं। नवाब की 133 निजी प्रॉपर्टी को छोड़कर बाकी सब को सीलिंग के दायरे में ले लिया गया था। अफसरों की मिलीभगत के चलते कुछ जमीनें सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुईं। इसका के भोपाल अपर आयुक्त कोर्ट में चला, अभी इस पर स्टे है। शत्रु संपत्ति कार्यालय मुंबई ने युद्ध के समय चीन और पाकिस्तान जाने वाले लोगों की प्रॉपर्टी की लिस्ट काफी समय पहले भेजी थी। इसमें पाकिस्तान जाकर बसीं नवाब भोपाल हमीदुल्ला खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान की प्रॉपर्टी भी शामिल है। दरअसल, आबिदा सुल्तान 1961-62 में पाकिस्तान चली गईं थीं। नवाब की मृत्यु के बाद 1962 में छोटी बेटी साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। शुरू में शत्रु सम्पत्ति की संख्या बहुत थी, लेकिन बाद में लोग दस्तावेज प्रस्तुत करते गए तो ये संख्या कम होती गई। खुद सैफ अली खान भी इस संबंध में हाईकोर्ट गए थे। अब नानी की हवेली और ये तीस प्रॉपर्टी ही जांच की जद में हैं। कोहेफिजा में 1.953 हेक्टेयर रकबा, पुराने क्वार्टर में 1.995, 12 क्वार्टर में 0. 302, फोर क्वार्टर 0. 544 , मोटर गैराज 0.546 हेक्टेयर, वर्कशॉप 0. 540 , न्यू कॉलोनी क्वाटर्स 6.165, सर्वेंट क्वाटर खानूगांव 0.450, फर्राश खाना 0.546, सब पोस्ट ऑफिस 1.311, रूम्स नियर डिस्पेंसरी 8.165, पुलिस गार्ड रूम 8.165, इंजीनियरिंग स्टोर, गवर्मेंट डिस्पेंसरी 8.165, गवर्मेंट स्कूल 0.546 नवीन नवयुवक गृनिस अनीस स्कूल बना है बीडीए कॉलोनी की जमीन सहित कुछ अन्य प्रॉपर्टी भी जांच की जद में आ सकती हैं।
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