नई दिल्ली: भारत का पहला मंगल मिशन अब खत्म हो गया है. लॉन्च होने के करीब एक दशक बाद मंगलयान का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया है, जिसे अब बहाल नहीं किया जा सकता और इस तरह इस मिशन की लाइफ जर्नी पूरी हो गई है. इसकी जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को दी. इसरो ने बताया कि मंगलयान में ईंधन और बैटरी खत्म हो गई है, जिसके चलते ये मिशन अब समाप्त हो गया है. मंगलयान को केवल 6 महीने की अवधि के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन इसने 8 सालों तक बखूबी काम किया.
इसरो ने एक बयान में कहा कि यान से अब संपर्क बहाल नहीं किया जा सकता और यह अपनी लाइफ जर्नी पूरी कर चुका है. मंगलयान को 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था और इसे 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया था. इसरो ने कहा, ‘इन 8 सालों के दौरान पांच वैज्ञानिक उपकरणों से लैस इस यान ने मंगल ग्रह की सतह की खासियत, इसके आकृति विज्ञान, मंगल ग्रह के वातावरण और इसके बाह्यमंडल पर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक समझ का उपहार दिया.’
450 करोड़ की लागत से हुआ था तैयार
27 सितंबर को इसरो ने मार्स ऑर्बिटर मिशन के 8 साल पूरे होने के अवसर पर एक दिवसीय राष्ट्रीय बैठक का आयोजन किया था. इस राष्ट्रीय बैठक के दौरान इसरो ने विचार किया कि मिशन अब खत्म हो गया होगा. इसरो ने कहा कि ये मिशन ग्रहों की खोज के इतिहास में बेहतर तकनीकी और वैज्ञानिक उपलब्धि के तौर पर जाना जाएगा. 450 करोड़ रुपये की लागत वाला ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन’ (MOM) पांच नवंबर 2013 को पीएसएलवी-सी25 से लॉन्च किया गया था और वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष यान को पहले ही प्रयास में 24 सितंबर 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था.
आठ सालों तक किया काम
इस यान में अब कोई ईंधन नहीं बचा है. सैटेलाइट की बैटरी भी खत्म हो गई है. इससे पहले, एक अधिकारी ने बताया था कि सैटेलाइट बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था, इसलिए एक लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग खत्म हो गई. इसरो के अधिकारियों ने कहा कि मार्स ऑर्बिटर यान ने लगभग आठ सालों तक काम किया, जबकि इसे 6 महीने की क्षमता के अनुरूप बनाया गया था. उन्होंने कहा, ‘इसने अपना काम बखूबी किया है’.
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