नलखेड़ा। किसी भी नगर अथवा शहर के विकास का एक सुनियोजित प्लान होना अतिआवश्यक हो गया है। ऐसे में अतिक्रमण मुक्त नगर होना एक बड़ी आवश्यकता हो गई है। अभी तक अतिक्रमण हटाने के सरकार के निर्देशों को कागज का टुकड़ा समझकर फेंका गया है। अब सवाल यह है कि नई गठित होने वाली परिषद क्या नगर को अतिक्रमण मुक्त बनाएगी या नगर में और अधिक अतिक्रमण होगा। लोकतंत्र में प्रत्येक जनप्रतिनिधि के लिए वोट महत्वपूर्ण होता है और नगर परिषद के चुनाव में एक एक वोट का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में कोई भी जनप्रतिनिधि सीधे आम जनता के खिलाफ कोई कार्यवाही करने में हिचकते हैं कि कही उनके वोट नही बिगड़ जाए। इसी के चलते नगर में विगत कुछ वर्षों में अतिक्रमण की बाढ़ आ गई है। मुख्य मार्गों के साथ ही अंदरूनी मार्गों पर लोगों द्वारा अपनी दुकान व मकान के सामने या आजू-बाजू में जहाँ जगह दिखाई दी वहाँ 05 से 30 फिट तक का अतिक्रमण कर लिया गया। जो कि कई स्थानों पर अस्थाई है तो कई स्थानों पर पक्के निर्माण के साथ स्थायी है। ऐसा नहीं है कि यह अतिक्रमण जिम्मेदारों के संज्ञान में नही है लेकिन वे आंखे मूंदकर अतिक्रमणकर्ताओं के हौसले बढ़ाते दिखाई दिए है। अतिक्रमण के चलते जहाँ आज पूरा नगर बदसूरत दिखाई दे रहा है वही बढते यातायात के दबाव के चलते कई प्रकार की समस्याओं को पैदा कर रहा है।
नगर के शासकीय अस्पताल से लेकर शिवाजी चौराहे, सरदार पटेल चौराहे से लेकर भैसोदा रोड, शिवाजी चौराहे से माँ बगलामुखी रोड ऐसे मार्ग है, जहाँ यातायात का सर्वाधिक दबाव रहता है और यही अतिक्रमण की बाढ़ आई हुई है। 5 से 30 फिट तक के अतिक्रमण के चलते मार्ग सिकुड़ा गए हैं जिसके कारण जाम लगना आम बात हो गई है। अब सवाल यह उठता है कि कुछ दिनों बाद नगरीय निकाय चुनाव उपरांत गठित होने वाली नई परिषद क्या नगर की इस सबसे बड़ी समस्या से निजात दिला पाएगी या अपने वोट बैंक के चक्कर मे अतिक्रमण को बढ़ावा देगी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved