नई दिल्ली: रेलवे बोर्ड ने अप्रैल में रखरखाव संबंधी कार्यों के बाद ‘सिग्नल गियर’ को बिना उचित परीक्षण के फिर से जोड़ने के लिए ‘शॉर्ट-कट’ अपनाने पर सिग्नल कर्मचारियों को कड़ी फटकार लगाई थी. तीन अप्रैल को लिखे पत्र में बोर्ड ने कहा था कि विभिन्न रेलवे जोन से ऐसी पांच घटनाओं की सूचना मिली है. पत्र के मुताबिक, “विभिन्न रेलवे जोन में असुरक्षित बिंदुओं पर ऐसी पांच घटनाएं होने की जानकारी सामने आई है. ये घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं.”
इसमें कहा गया है, “सिग्नल और टेलीकॉम कर्मचारियों ने स्विच/टर्नआउट बदलने, प्रारंभिक कार्यों के दौरान तारों के गलत तरीके से जुड़ने और सिग्नल से संबंधित विफलताओं को ठीक करने आदि मामलों में ‘सिग्नल गियर’ को उचित परीक्षण के बिना फिर से जोड़ दिया.” पत्र के अनुसार, “इस तरह का आचरण मानवीय और प्रक्रियागत प्रावधानों को कमजोर करता है. यह ट्रेन परिचालन संबंधी सुरक्षा के लिए एक संभावित खतरा है और इस पर लगाम लगाने की जरूरत है.”
सिग्नल विभाग की कार्यप्रणाली पर असंतोष जताते हुए पत्र में कहा गया है कि ये घटनाएं दर्शाती हैं कि लगातार दिशा-निर्देश देने के बावजूद “जमीनी हालात नहीं सुधर रहे हैं और सिग्नल कर्मी बिना उचित जांच एवं परीक्षण के सिग्नल को मंजूरी देने के लिए ‘शॉर्ट-कट’ अपना रहे हैं.” गौरतलब है कि रेल मंत्री और अधिकारियों ने दो जून को ओडिशा के बालासोर जिले में हुए भीषण रेल हादसे के लिए सिग्नल संबंधी विफलताएं होने का अंदेश जताया था. भारतीय रेल इतिहास के सबसे बड़े हादसों में से एक इस हादसे में 288 यात्रियों की मौत हो गई और एक हजार से अधिक यात्री घायल हो गए.
रेलवे अधिकारियों ने ओडिशा के बालासोर में 2 जून को हुई दुर्घटना के संभावित कारण के रूप में सिग्नल हस्तक्षेप का संकेत दिया था. इस रेल हादसे में कुल 288 लोगों की जान चली गई थी और 1100 से अधिक लोग जख्मी हुए थे. रेलवे की तरफ से अब तक 688 पीड़ितों को मुआवजा बांटा जा चुका है. इस बीच मामले की सीबीआई जांच भी शुरू हो गई है. प्रारंभिक जांच में सीबीआई ने पाया कि ट्रेन हादसे की एक वजह लोकेशन बॉक्स में की गई छेड़छाड़ हो सकती है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved