भोपाल। प्रदेश में कर्मचारी संगठन अपनी-अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की तैयारी में हैं। कर्मचारियों की एक प्रमुख मांग पुरानी पेंशन योजना को बहाल कराना भी है। इसको लेकर कर्मचारी संगठन सरकार को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं। हाल ही में हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा किया था, जिस पर हिमाचल सरकार ने शुक्रवार को फैसला ले लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मप्र में कांग्रेस सरकार बनने पर पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का ऐलान किया है।
कमलनाथ की घोषणा और कर्मचारी संगठनों के लगातार बढ़ते दबाव के चलते मप्र की भाजपा सरकार ने भी पेंशन योजना में बदलाव पर मंथन करना शुरू कर दिया है। इसके लिए सरकार ने बाकायदा मंत्रियों की समिति भी गठित कर दी है। जो मंत्री अभी तक पदोन्नति में आरक्षण पर मंथन कर रहे थे, वे अब कर्मचारियों की पेंशन समेत अन्य मांगों पर भी अफसरों के साथ चर्चा करेंगे। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि मौजूदा सरकार पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का फैसला ले, इसकी संभावना कम है। इतना संभव है कि सरकार नई पेंशन व्यवस्था में कर्मचारियों का जितना पैसा कटता है, उतना सरकार खुद बहन कर सकती है। साथ ही अन्य सुविधाओं पर भी विचार किया जा सकता है।
2004 के बाद वालों को पुरानी पेंशन नहीं
प्रदेश में सभी शासकीय कर्मचारियों की संख्या 9 लाख से ज्यादा है, जो पेंशन के दायरे में आते हैं। इनमें वे कर्मचारी भी शामिल हैं, जो पुरानी पेंशन योजना के पात्र हैं। यानी 2004 के बाद सेवा में आए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इन्हें नई पेंशन योजना के तहत ही लाभ मिलेगा। राज्य में ऐसे कर्मचारियों की संख्या ज्यादा हैं जो फिलहाल नई पेंशन योजना के दायरे में आ रहे हैं। जबकि संविदा समेत अन्य अस्थाई कर्मचारियों के लिए किसी तरह की पेंशन योजना नहीं है।
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