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    वेतन न मिलने से आर्थिक संकट में कर्मचारी

  • February 18, 2023

    • 3-3 माह से कई विभाग के कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन

    भोपाल। प्रदेश के अनेक विभागों के कर्मचारियों को पिछले 3 माह से वेतन नहीं मिला है। राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों के वेतन पर लगाई अघोषित पाबंदी ने सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। पिछले कुछ माह से वेतन न मिलने के कारण उन्हें अपने परिवार का गुजारा करना भी कठिन हो रहा है। राज्य के पंचायत और ग्रामीण विकास, जल संसाधन समेत निकायों के रूप में काम करने वाले कई विभागों में ऐसी स्थिति है। इन हालातों में कर्मचारियों में आक्रोश है। उधर पंचायत सचिव वेतन न मिलने के साथ अन्य मांगों को लेकर 26 फरवरी को भोपाल में जुटने वाले हैं और आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। समय पर वेतन नहीं मिलने का संकट नगरीय निकायों के कर्मचारियों को भी झेलना पड़ रहा है। राज्य सरकार निकायों को चुंगी क्षतिपूर्ति के जरिये वेतन भुगतान की व्यवस्था करती है लेकिन कई निकाय दूसरे कामों में राशि खर्च कर देते हैं। इस कारण वेतन की दिक्कत होती है और चूंकि निकाय अपनी आय के स्त्रोत मजबूत नहीं कर पा रहे, इसलिए पेंडेंसी बढऩे पर शासन स्तर पर मामला आने के बाद इस मामले में कार्यवाही की जाती है। पिछले माह बैतूल में निकायों के वेतन न मिलने को लेकर प्रदर्शन भी हो चुके हैं।


    कर्मचारी संगठन आंदोलन की तैयारी में
    पिछले 3 साल से वेतन न मिलने के कारण कर्मचारियों में रोष बढ़ता जा रहा है। वेतन नहीं मिलने वाले विभागों के कर्मचारी संगठन द्वारा अब इन स्थितियों में सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करने की तैयारी की जा रही है। अफसरों के मुताबिक पंचायतें निकाय के रूप में काम करती हैं और इन निकायों में आय के स्त्रोत जुटाने की जिम्मेदारी निकायों की खुद की है लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसलिए शासन को इसके लिए अलग से फंड के इंतजाम करने पड़ रहे हैं। ताजा विरोध की स्थिति पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में है जहां पंचायत सचिवों को वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा है और शासन के अधिकारी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि विभाग के किन मदों से वेतन भुगतान साल के आखिरी महीनों में किया जाए। इसको लेकर मंत्रालय में अधिकारियों के बीच मद समायोजन को लेकर चर्चा हो रही है।

    अतिरिक्त काम के बावजुद वेतन नहीं
    राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा ने जल संसाधन मंत्री को लिखे पत्र में जानकारी दी थी कि विभाग में कार्यरत अमीनों से अतिरिक्त काम कराया जा रहा है और वेतन नहीं दिया जा रहा है। इस मामले में प्रदेश महामंत्री राज्य कर्मचारी संघ ने कहा है कि अमीन से सिंचाई कार्य की वसूली नहीं कराई जानी है लेकिन कर्मचारी कम होने के कारण जिलों में अमीन के रूप में काम करने वालों से वसूली कराई जा रही है और तीन तीन माह तक वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इससे कर्मचारियों में मानसिक तनाव है। शासन तक पहुंची शिकायत में यह बात सामने आई है कि मुरैना के सबलगढ़ में कार्यरत अमीन की इसी के चलते मौत हो गई है। इसलिए व्यवस्था में सुधार किया जाए। कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष के पत्र के बाद जल संसाधन विभाग ने अमीन से वसूली नहीं कराने को लेकर सभी जिलों और संभागों के अधिकारियों को पत्र लिखा है।

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