भोपाल। मप्र में पदोन्नति पर रोक के कारण सरकारी विभागों में हालात खराब होने लगे हैं। आलम यह है कि कई दफ्तरों में अधिकारियों का काम कर्मचारी कर रहे हैं, वहीं ज्यादातर दफ्तरों में प्रभार के भरोसे काम चल रहा है। आने वाले समय में स्थिति और बिगडऩे वाली है। जानकारी के अनुसार, पदोन्नति पर रोक से मंत्रालय सहित प्रदेश के तमाम सरकारी कार्यालयों में कार्य प्रभावित हो रहा है। विभागों में 20 से 60 फीसदी वरिष्ठ पद खाली हो गए हैं। इसके चलते कनिष्ठ अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रभार देकर काम चलाना पड़ रहा है। सभी प्रमुख विभागों के यही हालात हैं। नगरीय प्रशासन, मुख्य तकनीकी परीक्षक (सीटीई) और ग्रामीण यांत्रिकी सेवा प्रमुख के पद भी प्रभार पर चल रहे हैं। प्रदेश में अप्रैल 2016 से पदोन्नति पर रोक है। मई 2016 से मार्च 2018 और अप्रैल 2020 से अब तक 65 हजार अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं। इनमें करीब 20 फीसदी प्रथम और द्वितीय श्रेणी के पद हैं, जो अब प्रभार में चल रहे हैं। कर्मचारी संगठनों की तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य सरकार पदोन्नति शुरू नहीं करा पाई है। इसका असर सरकार की कार्य संस्कृति पर पड़ रहा है। पूरी कोशिश के बाद भी सरकार कार्य की गति नहीं बढ़ा पा रही है। क्योंकि कर्मचारी दो से तीन लोगों का काम संभाल रहे हैं। पीएचई में प्रमुख अभियंता के दो पद खाली लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) में प्रमुख अभियंता के दो पद तीन साल से खाली हैं। इन पदों पर फिलहाल प्रभारी अधिकारी काम कर रहे हैं। जल निगम में भी एक पद प्रभार पर है। मुख्य अभियंता के पांच में से दो पद खाली हैं।
दो साल नहीं हुई सेवानिवृत्ति
प्रदेश में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा बढऩे के कारण दो साल अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त नहीं हुए। वरना, स्थिति और भी चिंताजनक होती। विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार ने वर्ष 2018 में कार्य की अधिकता और कर्मचारियों की लगातार होती कमी को देखते हुए कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 62 कर दी थी। इसलिए अप्रैल 2016 से मार्च 2020 तक प्रदेश में सेवानिवृत्ति भी पूरी तरह से बंद रही।
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