नई दिल्ली। मन की बात की 102वीं कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बड़े से बड़ा लक्ष्य हो या कठिन से कठिन चुनौती, भारत के लोगों की सामूहिक शक्ति से हर चुनौती का हल निकल जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी हमने दो तीन पहले देखा कि देश के पश्चिमी छोर पर चक्रवाती तूफान आया। इस दौरान तेज हवाएं और बारिश हुईं। साइक्लोन बिपरजॉय ने कच्छ में भारी नुकसान किया लेकिन कच्छ के लोगों ने हिम्मत और तैयारी से इतने खतरनाक तूफान का जिस तरह मुकाबला किया, वह अभूतपूर्व है।
‘आपदा प्रबंधन में भारत एक बड़ी ताकत’
प्रधानमंत्री ने कहा कि दो दशक पहले विनाशकारी भूकंप के बाद कहा जाता था कि कच्छ कभी उठ नहीं पाएगा लेकिन आज वही जिला देश के तेजी से विकसित होते जिलों में से एक है। पीएम ने कहा कि मुझे विश्वास है कि साइक्लोन बिपरजॉय ने जो तबाही मचाई है, उससे भी कच्छ के लोग बहुत जल्द उभर जाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में भारत ने आपदा प्रबंधन की जो ताकत विकसित की है, वह आज एक उदाहरण बन रही है। प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने का एक बड़ा तरीका है प्रकृति का संरक्षण। मानसून के समय में तो जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। कैच द रेन जैसे अभियानों के जरिए इस दिशा में सामूहिक प्रयास किया जा रहा है।
जल संरक्षण का दिया संदेश
प्रधानमंत्री ने लोगों से जल संरक्षण करने की भी अपील की और यूपी के बांदा जिले के तुलसीराम यादव का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि तुलसीराम जी गांव के लोगों को साथ लेकर इलाके में 40 से ज्यादा तालाब बनवा चुके हैं। प्रधानमंत्री ने हापुड़ जिले में एक विलुप्त नदी को पुनर्जीवित करने की भी बात बताई और बताया कि काफी समय पहले नीम नाम की एक नदी हुआ करती थी, जो समय के साथ लुप्त हो गई लेकिन लोगों ने इसे फिर से जीवित करने की ठानी और सामूहिक प्रयास से नीम नदी फिर से जीवंत होने लगी है। नदी के उद्गम स्थल अमृत सरोवर को भी विकसित किया जा रहा है।
‘देश पर इमरजेंसी थोपी गई’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। हम अपने लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हैं, अपने संविधान को सर्वोपरि मानते हैं। 25 जून को हम कभी नहीं भूल सकते, जब देश पर इमरजेंसी थोपी गई थी। वह भारत के इतिहास का काला दौर था। पीएम मोदी ने कहा कि उस दौरान कई किताबें लिखी गईं, मैंने भी उस दौर पर ‘संघर्ष में गुजरात’ नाम से एक किताब लिखी है। टॉर्चर ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स इन इंडिया नामक किताब में उस दौर में लोकतंत्र के रखवालों से क्रूरतम व्यवहार कर रही थी।
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