पीलीभीत: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में होमगार्डों के वेतन में गड़बड़ी के मामले में जिले की कोर्ट ने 20 साल बाद अपना फैसला सुना दिया है. 170 रुपए के गबन के मामले में कोर्ट ने प्लाटून कमांडर समेत 3 होमगार्डों को चार साल की सजा सुनाई है. इनमें उमरिया के तत्कालीन प्लाटून कमांडर चुन्नी लाल, माधो टांडा के अब्दुल नफीस और लखीमपुर जिले के खानपुर निवासी रोशन लाल शामिल है. आरोपियों में से एक सूरज की पहले ही मौत हो चुकी है.मामले की सुनवाई एसीजेएम प्रथम अमित यादव की कोर्ट में शनिवार को हुई.
इसके बाद आरोपियों को जेल भेज दिया गया. केस डायरी के मुताबिक सेवानिवृत्त हो चुके पूरनपुर के ब्लॉक ऑफिसर, एक कंपनी कमांडर और एक प्लाटून कमांडर पर 170 रुपये के गबन का आरोप लगा था. यह मामला साल 2003 में पूरनपुर थाने से संबंधित है. मामला तूल पकड़ने पर शासन ने इसकी जांच सीबीसीआईडी को सौंपी. सीबीसीआईडी की ओर से पेश चार्जशीट में पता चला कि होमगार्ड सूरज प्रसाद की चौकी घुंघचाई में ड्यूटी लगी थी, लेकिन वह 10 सितंबर को बिना किसी सूचना के लापता हो गया.
चौकी के मुंशी ने जीडी में इस संबंध में तस्करा डाल दिया. वहीं जब सूरज 13 सितंबर को वापस लौटा तो भी जीडी में एंट्री हुई. कायदे से सूरज को 10 से 12 सितंबर तक गैरहाजिर मानते हुए इन तीन दिनों का वेतना नहीं मिलना चाहिए था. विवेचना के दौरान पता चला कि सूरज ने प्लाटून कमांडर चुन्नी लाल के सहयोग से इन तीन दिनों में भी मस्टररोल में अपनी हाजिरी दर्शा दी थी. कंपनी कमांडर अब्दुल नफीस ने भी हस्ताक्षर कर इस मस्टररोल को सत्यापित किया और ब्लॉक ऑफिसर रोशन लाल वर्मा के पास भेज दिया. यहां से भी इसे पारित कर भुगतान के लिए मस्टररोल जिला कमांडेंट को भेजा गया और होमगार्ड सूरज को 29 कार् यदिवस के लिए 2465 रुपये का भुगतान हो गया.
आरोप है कि होमगार्ड सूरज ने 10 व 12 सितंबर को गैर हाजिर रहते हुए भी तीन दिन के 170 रुपये प्राप्त प्राप्त किया है. इस मामले में जिला अदालत ने मामले की सुनवाई शुरू की. इसी दौरान सूरज की मौत हो गई. इधर न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सूरज, चुन्नी लाल, अब्दुल नफीस व रोशन लाल वर्मा को दोषी करार देते हुए चार साल की सजा सुनाई है. चूंकि सूरज की मौत हो चुकी है, इसलिए सजा अब बाकी तीन आरोपियों को भुगतना होगा. इन तीनों को 16 हजार रुपये जुर्माने का भी भुगतान करना होगा.
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