नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में प्रवर्तन निदेशालय ने मनरेगा निधि के कथित गबन की जांच के सिलसिले में कार्रवाई की है. यहां कई इलाकों पर ईडी द्वारा छापेमारी की जा रही है. एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, जिन स्थानों में छापेमारी की जा रही है उनमें 24 नॉर्थ परगना का साल्ट लेक इलाका भी शामिल है. यहां आईए ब्लॉक में एक पूर्व ब्लॉक विकास अधिकारी के आवास पर छापा मारा गया है. फिलहाल उनके घर की तलाशी ली जा रही है. इसी के साथ हुगली जिले के चिनसुराह में एक व्यवसायी के घर और कार्यालय पर भी तलाशी ली जा रही है. मुर्शिदाबाद जिले के बहरामपुर में राज्य सरकार के एक कर्मचारी की संपत्ति की भी तलाशी ली जा रही है.
ईडी के अधिकारियों की मानें तो साल्ट लेक इलाके में जिस पूर्व ब्लॉक विकास अधिकारी के घर छापेमारी की गई, वह सर्विस के दौरान धनियाखाली में तैनात थे. उन्होंने दावा किया कि ”अनियमितताओं” में पूर्व बीडीओ की संलिप्तता के सबूत मिलने के बाद उनके आवास की तलाशी ली जा रही है. अधिकारियों ने बताया कि राज्य में मनरेगा के तहत 25 लाख फर्जी जॉब कार्ड जारी किए गए थे. उसी को लेकर छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है.
बता दें, पश्चिम बंगाल में 100 दिनों के काम (मनरेगा) को लेकर लगातार धांधली के आरोप लग रहे हैं. हाल ही में यहां मालदा के देवतला में ग्राम पंचायत के मुखिया और टीएमसी नेता पर परियोजना के 5 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगा था. ग्रामीणों के एक वर्ग ने जिलाधिकारी से लिखित शिकायत की थी. प्रशासन सूत्रों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 में देवतला ग्राम पंचायत में 100 दिनों के काम के लिए 356 प्रोजेक्ट लिए गए थे. इनमें ड्रैगन फ्रूट की खेती, केले के पेड़ों की खेती, पोल्ट्री शेड का निर्माण शामिल था. स्थानीय लोगों का दावा था कि बिना कोई काम किए ही उस समय ऊपर से ही पूरी रकम गबन कर ली गई थी.
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