नई दिल्ली। भविष्य में फैलने वाले नए प्रदूषण को फैलाने में सबसे बड़ा हाथ दुनिया के रईसों में से एक एलन मस्क, जेफ बेजोस, रिचर्ड ब्रैनसन और चीन (Elon Musk, Jeff Bezos, Richard Branson, China) का होगा। धरती पर फैलने वाले इस प्रदूषण (pollution) के चलते नुकसान दो तरह से होगा, पहला दिन में सूरज की रोशनी कम हो सकती है, दूसरा रात में अंधेरा ज्यादा हो सकता है।
धरती (earth) के चारों तरफ बढ़ते हुए सैटेलाइट्स (Satellites) के कारण यह प्रदूषण फ़ैल सकता है। ये चेतावनी यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (university of California) के भौतिक विज्ञानी टोनी टाइसन (Tony Tyson) ने 19 दिसंबर 2019 को दी थी। लेकिन इस समय चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि उनके द्वारा किए गए रिसर्च पर एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। टोनी ने 19 दिसंबर 2019 को एलन मस्क के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल (conference call) पर सैटेलाइट से प्रदूषण की अहमियत बताई थी। इसके सात महीने बाद एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) ने पहली बार 60 स्टारलिंक सैटेलाइट्स का बड़ा हुजूम अंतरिक्ष में लॉन्च कर दिया।
एलन मस्क (Elon Musk) के स्टारलिंक सैटेलाइट्स (satellites) का मकसद है दुनियाभर में इंटरनेट का नेटवर्क बिछाना। स्पेसएक्स ( Space X) के पास अब तक 12 हजार से ज्यादा स्टारलिंक सैटेलाइट्स लॉन्च करने की अनुमति मिली हुई है। एलन मस्क कुल 41,914 स्टारलिंक सैटेलाइट्स (starling satellite) अंतरिक्ष में लॉन्च करना चाहते हैं। इसके अलावा जेफ बेजोस (Jeff Bezos) द्वारा फंडेड प्रोजेक्ट कुइपर (Project Kuiper) के तहत 3236 सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में लॉन्च करना चाहते हैं। दोनों का मकसद दुनिया को इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करना है।
इसके अलावा वर्जिन गैलेक्टिक के मालिक अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन द्वारा फंडेड कंपनी वनवेब (OneWeb) अंतरिक्ष में 6327 सैटेलाइट्स लॉन्च करने की तैयारी में है। ताकि पूरी दुनिया को 2020 के दशक के अंत तक फर्राटा गति के साथ इंटरनेट मिल सके।
इसके अलावा चीन ने भी अंतरिक्ष में 12,992 सैटेलाइट्स लॉन्च करने की एक योजना इंटरनेशनल रेगुलेटर्स के पास भेजी है। यह भी ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस देने की तैयारी है। इस प्रोजेक्ट का नाम चाइना स्टार नेटवर्क (China Star Network) यानी इस दशक के अंत तक अंतरिक्ष कुल मिलाकर करीब 1 लाख सैटेलाइट्स चक्कर लगा रहे होंगे।
मुद्दा ये है कि इनसे नुकसान क्या होगा? तो सबसे पहले यह जान लीजिए कि अगर आसमान साफ है तो आपकी आंखें औसत 3000 तारे देख सकती हैं। अगर धरती के ऊपर लाखों सैटेलाइट्स की एक परत जमा हो जाएगी तो आप उन तारों को देख नहीं पाएंगे। अगर देख भी लेंगे तो तारों और सैटेलाइट्स के बीच अंतर समझ नहीं पाएंगे। आपको कई विचित्र प्रकार के चमकते और चलते हुए बिंदु जैसे सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में दिखाई देंगे. ये सैटेलाइट्स धरती की निचली कक्षा में ही लॉन्च किए जाएंगे।
सैटेलाइट्स के प्रदूषण को कम करने के लिए स्टारलिंक के वैज्ञानिकों ने अपने सैटेलाइट्स के ऊपर ऐसी परत लगाई है। जो उसे सूरज की रोशनी में चार गुना कम चमकने की सुविधा देती है। ताकि धरती पर मौजूद किसी व्यक्ति को स्टारलिंक का सैटेलाइट तारे जैसा न दिखे। लॉन्च के बाद सैटेलाइट्स को धरती की कक्षा में इस तरह से पहुंचाया जाता है ताकि उसका रिफलेक्शन तेजी से धरती पर न आए। सैटेलाइट के सोलर पैनल्स को शार्क मछली के पंखों की तरह सेट किया जाता है ताकि सूरज की रोशनी की चमक से पृथ्वी पर लोग और टेलिस्कोप पर असर न पड़े।
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