नई दिल्ली: देश में इलेक्ट्रॉनिक निर्माता (Electronic Manufacturers) 115 बिलियन डॉलर ($115 billion) की हो गई है, जबकि मोबाइल फोन का निर्यात 15 बिलियन डॉलर पहुंच गयी है. ऐसे में सेलुलर इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री संघ आईसीईए (Cellular Electronics Industry Association (ICEA)) के मुताबिक सरकार को इस बढ़ोत्तरी को जारी रखने के लिए आगामी बजट में शुल्क दरों में बड़ी कटौती करनी होगी. इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र के संघ आईसीईए ने सरकार के समक्ष बजट को लेकर अपनी मांग रखी है. देश में पिछले 5 सालों में प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) से इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में निर्माण तेजी से बढ़ा है. इसका निर्यात भी 29 बिलियन डालर पहुंच गया है. इंडस्ट्री चाहती है कि सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए बजट में कई सारे कदम उठाए.
आईसीईए ने मांग रखी है कि सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट की असेंबलीज पर सभी तरह के शुल्क को घटाकर शून्य किया जाए. मोबाइल फोन उत्पादन पर अभी 7 तरह के शुल्क लगते हैं, इन्हें आसान किया जाए और सिर्फ चार तरह का ही शुल्क रखा जाए. पीसीबीए पर ड्यूटी 20% से घटकर 15%की जाए. चार्जर, माइक, रिसीवर पर लगने वाली ड्यूटी 15% से घटकर 10% की जाए. पीसीबीए पार्ट्स, कनेक्टर, कैमरा माड्यूल पर लगने वाली ड्यूटी पूरी तरह से खत्म की जाए. इंडस्ट्री के मुताबिक इससे किसी भी तरह से सरकार का नुकसान नहीं होगा.
आईसीईए के चेयरमैन पंकज महेंद्रू के मुताबिक सरकार को अगले 5 से 8 साल के लिए करीब 45000 करोड़ के इंसेंटिव देने होंगे. इंडस्ट्री केमुताबिक स्पार्टफोन के इनपुट पर भारत में चीन के मुकाबले 7.4% और वियतनाम के मुकाबले 0.7 परसेंट शुल्क ज्यादा है. सरकार इन्हें कम करके इंडस्ट्री को बढ़ावा दे सकती है. नई सरकार इसी महीने बजट पेश करने वाली है. हालांकि बजट की तारीख की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है. उम्मीद की जा रही है कि बजट जुलाई महीने में 22 तारीख को आ सकता है. सरकार की गठन के बाद यह पहला पूर्ण बजट है. इसलिए हर सेक्टर अपनी अपनी मांग सरकार के सामने रख रहे हैं.
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