इंदौर। इंदौर बिजली कंपनी क्षेत्र (indore district company area) में चोरी (theft) पकडऩे के लिए विजिलेंस विभाग (vigiliance department) छापामार कार्रवाई करता है, लेकिन फिलहाल विभाग कर्मचारियों व अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है। इसके बावजूद 2 महीने में पुराने 4000 प्रकरण कंपनी ने निपटाए हैं, जिनसे 10 करोड़ की पेनल्टी वसूल की गई है।
इंदौर-उज्जैन (indore-ujjain) संभाग में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर बिजली कंपनी उपभोक्ताओं को बिजली प्रदान करती है। यहां पर बिजली चोरी रोकने के लिए वितरण केंद्र के साथ विजिलेंस की टीम अलग से कार्रवाई करती है और चोरी पकड़ी जाने पर उपभोक्ताओं पर तगड़ी पेनल्टी (penalty) लगाई जाती है। विजिलेंस विभाग (vigilance department) के चीफ कैलाश शिवा ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-मई में कोरोना संक्रमण के चलते काम विभागीय कामकाज शिथिल रहने के बावजूद जून-जुलाई में बिजली चोरी के पुराने 4000 प्रकरणों से 10 करोड़ों रुपए की वसूली की गई है। अधिकारियों की कमी के चलते बिजली चोरी रोकने में थोड़ी दिक्कत आ रही है। जल्द ही नई योजना बनाने का दावा विजिलेंस विभाग (vigilance department) की ओर से किया गया है।
यहां चोरी पकडऩे वाले अमले की दरकार
देवास, शाजापुर, आगर, मंदसौर, झाबुआ जैसे जिलों में विजिलेंस की टीम ही नहीं है। यहां कार्यपालन यंत्री स्तर के अधिकारी होना चाहिए। अधिकारियों के नहीं होने से यहां कंपनी को नुकसान हो रहा है। बिजली चोरी रोकने का काम शिथिल पड़ा हुआ है। वहीं इंदौर मुख्यालय पर भी पर्याप्त अमला बिजली चोरी रोकने के लिए नहीं है। इंदौर में 6 से 8 झोन ऐसे हैं, जहां लाइन लॉस 20 फीसदी से ज्यादा है।
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