इंदौर। कोरोना संक्रमण के दौर में लोग महंगाई से परेशान हैं, वहीं बिजली कंपनी ने टैरिफ में बढ़ोतरी कर लोगों को करंट का झटका दिया है। अभी तो 15 पैसे की बढ़ोतरी का बहाना बनाया गया है, लेकिन नियामक आयोग को बिजली कंपनियां जो घाटा बताएंगी उसके अनुसार तीन माह बाद तकरीबन 5 फीसदी दाम और बढ़ाना तय है।
मध्यप्रदेश में 3 विद्युत वितरण कंपनियां है- इंदौर, भोपाल और जबलपुर। यह तीनों बिजली कंपनियां विद्युत नियामक आयोग के निर्देश अनुसार ही बिजली के दाम कम और ज्यादा उपभोक्ताओं से लेती हंै। अभी बिजली के दाम 1.98 फीसदी बढ़े हैं। यह नियामक आयोग में फरवरी 2020 में ही तय कर दिए थे। मार्च में करोना लगने के कारण नियामक आयोग की दरों पर इंप्लीमेंट नहीं हो पाया और इसे 26 दिसंबर से लागू किया जाएगा। इसके साथ ही नियामक आयोग ने कुछ दिन पूर्व ही निविदा निकालकर सभी कंपनी और उपभोक्ताओं को आगाह किया है कि वर्ष 2019-20 का लेखा जोखा भेजें। दरअसल इसके बाद ही नियामक आयोग दावे-आपत्ति बुलाता है और अंतत: बिजली के दामों में वृद्धि हो ही जाती है।
2 हजार करोड़ तो कोरोना काल का घाटा
सीमित बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को सस्ती और रियायती बिजली देने के कारण लगातार बिजली कंपनियां घाटे में चल रही हैं। वहीं प्रदेश सरकार की ओर से भी बिजली कंपनियों को समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। 1000 करोड़ से ज्यादा का इंदौर-भोपाल और जबलपुर तीनों ही बिजली कंपनियों को चल रहा था। वही तकरीबन 2000 करोड़ रुपए की राशि फ्रीज की गई है। अब बिजली कंपनियां नियामक आयोग को यह सब जानकारियां देंगी। इतना घाटा देखकर नियामक आयोग 5 फीसदी तक दामों में और वृद्धि कर सकता है
सरकार खुद उत्पादन बढ़ाए तो कम हो सकता है घाटा
मध्य प्रदेश में तकरीबन अ_ारह पावर जनरेशन यूनिट यानी बिजली बनाने के उपक्रम हैं जो सरकार के अधीन हैं, लेकिन इसमें से ज्यादातर यूनिट पर 30 से 40 फीसदी बिजली उत्पादन हो रहा है और निजी वितरण कंपनियां पहले से अनुबंध के कारण महंगी बिजली खरीद रही हैं। सरकार अगर इस मामले में पहल करे तो न सिर्फ बिजली कंपनियों को बिजली सस्ती मिलेगी, बल्कि प्रदेश के करोड़ों उपभोक्ताओं पर भी अनावश्यक भार नहीं पड़ेगा।
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