इंदौर, कमलेश्वर सिंह सिसोदिया। बेमौसम बारिश से जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है, लोग ठिठुरन महसूस कर रहे हैं, वहीं प्रदेश में 40 फीसदी बिजली की डिमांड एकदम से कम हो गई है। इस मौसम में सर्वाधिक बिजली की खपत सिंचाई में किसान मोटर पंप चलाने के लिए उपयोग में करते हैं। प्रदेश में मावठे की बारिश ने फिलहाल सिंचाई को बंद करवा दिया है, इसलिए बिजली खपत में 6000 मेगावाट की गिरावट दर्ज की गई है।
नवंबर-दिसंबर-जनवरी 3 महीने रबी सीजन में किसान फसलों को पानी देने के लिए पूरी क्षमता के साथ मोटर पंप का इस्तेमाल करते हैं। इसके कारण बिजली की खपत प्रदेश में उच्चतम स्तर पर रहती है। इस बार भी मध्यप्रदेश में एक सप्ताह पहले बिजली की खपत 16000 मेगावाट को पार कर रही थी व इसके करीब चल रही थी। दो दिन पहले हुई मावठे की बारिश ने सिंचाई को फिलहाल पूरी तरह बंद कर दिया है। खेत बारिश के पानी से तरबतर हो चुके हैं और किसान खुश हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों में तेज हवा-आंधी से गन्ना, केले आदि की फसलों को क्षति भी बताई जा रही है। वहीं सिंचाई बंद होने से प्रदेश की बिजली खपत अब 10000 मेगावाट के करीब आ गई है, यानी मावठे ने सीधे 40 फीसदी बिजली खपत में कमी कर दी है। इंदौर पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की बात करें तो यहां सर्वाधिक बिजली खपत का आंकड़ा 6800 मेगावाट के करीब चला गया था। 2 दिन पहले तक यह आंकड़ा 6500 मेगावाट के करीब चल रहा था, जो अब 3200 मेगावाट, यानी आधा ही रह गया है।
पहले ओवरलोड से परेशान थे, अब खपत न्यूनतम
प्रदेश में रबी सीजन में सिंचाई की मांग को लेकर ओवरलोड बिजली सप्लाय चल रहा था, जिसके कारण तीनों ही बिजली कंपनियां और कर्मचारी परेशान हो रहे थे। इस बार 1 हजार से 1500 मेगावाट बिजली खपत ज्यादा होने का अनुमान भी लगा लिया था और अचानक मावठा गिरने से बिजली खपत में 6 हजार मेगावाट की गिरावट दर्ज हो गई, जिससे फिलहाल मांग और आपूर्ति में अधिकारियों-कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है।
प्रदेश की बिजली खपत मेगावाट में
प्रदेश की कंपनियां 2 दिन पहले तक आज
इंदौर पश्चिम क्षेत्र 6500 3200
भोपाल मध्य क्षेत्र 4900 3500
जबलपुर पूर्वी क्षेत्र 4600 3300
अब आने वाले दस से पंद्रह दिनों तक सिंचाई में बिजली की मांग मालवा-निमाड़ में न्यूनतम रहेगी, क्योंकि यहां पर दो से तीन इंच मावठे की बारिश दर्ज की गई है।
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