भोपाल। बिजली कंपनी के भ्रमजाल ने हर छोटे-बड़े उपभोक्ता को चपेट में ले लिया है। कागजों में दावे तो 5 से लेकर 6.30 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने के किए जाते हैं, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। घरेलू उपभोक्ता को प्रति यूनिट कीमत 7 से लेकर 10 रुपए तक चुकाना पड़ रही है। यूनिट की भ्रमित दर को लेकर सबसे ज्यादा विवाद मकान मालिक और किराएदार के बीच हो रहे हैं। किराएदारों से 12 रुपए प्रति यूनिट तक की वसूली की जा रही है। इस खेल में बिजली कंपनी का भ्रमित टैरिफ स्लेब होता है। टैरिफ स्लेब का इतना पेंचीदा खेल है जिसे उपभोक्ता तो क्या, बिजली कंपनी के अधिकारी, कर्मचारी तक नहीं समझ पाते। इस कारण उपभोक्ता मजबूर होकर बिना दिमाग खपाए ही बिल जमा करने को विवश होता है।
इस तरह करते हैं गुमराह
बिजली कंपनी के टैरिफ स्लैब के अनुसार 300 यूनिट से ज्यादा बिजली खपत होने पर 6 रुपए 30 पैसे यूनिट चार्ज लगता है। आमजन समझता है कि उसे 6 रुपए 30 पैसे प्रति यूनिट बिजली बिल रही है। लेकिन ऐसा नहीं है। बिजली कंपनी इसमें नियत प्रभार, ऊर्जा प्रभार, मीटर किराया, ईंधन प्रभार, विद्युत शुल्क आदि भी लगाती है। इस प्रकार प्रति यूनिट राशि 8 से 10 रुपए के बीच पहुंच जाती है।
स्लेब बढ़ाने देरी से लेते हैं मीटर रीडिंग
विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ता के बिल के फॉर्मेट के साथ-साथ खपत का समय भी निर्धारित किया है। 30 दिन की खपत का ही उपभोक्ता को बिल दिया जाने का प्रावधान है। इससे ज्यादा दिन की खपत का बिल दिया जाता है तो वह गलत श्रेणी में आता है। लेकिन स्लेब बढ़ाने के लिए बिजली कंपनी बड़ी चतुराई से जनता को लूटती है और अपना खजाना भरती है। स्लेब बढ़ाने के लिए कंपनी मीटर रीडरों को 5-10 दिन देरी से रीडिंग के लिए भेजती है। इससे विद्युत खपत बढ़ जाती है। ज्यादादर घरों में यह रीडिंग 300 को पार कर जाती है जो कंपनी की सबसे उच्च दर वाला टैरिफ है। यह बिजली 9 से 10 रुपए प्रति यूनिट पड़ती है।
ऐसे समझें आपको लगने वाली चपत
10 की देर होने पर इतनी बढ़ेगी खपत
स्लैब दर इतनी बढ़ सकती है खपत
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved