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बिजली कंपनी के टैरिफ का खेल

August 31, 2020

भोपाल। बिजली कंपनी के भ्रमजाल ने हर छोटे-बड़े उपभोक्ता को चपेट में ले लिया है। कागजों में दावे तो 5 से लेकर 6.30 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने के किए जाते हैं, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। घरेलू उपभोक्ता को प्रति यूनिट कीमत 7 से लेकर 10 रुपए तक चुकाना पड़ रही है। यूनिट की भ्रमित दर को लेकर सबसे ज्यादा विवाद मकान मालिक और किराएदार के बीच हो रहे हैं। किराएदारों से 12 रुपए प्रति यूनिट तक की वसूली की जा रही है। इस खेल में बिजली कंपनी का भ्रमित टैरिफ स्लेब होता है। टैरिफ स्लेब का इतना पेंचीदा खेल है जिसे उपभोक्ता तो क्या, बिजली कंपनी के अधिकारी, कर्मचारी तक नहीं समझ पाते। इस कारण उपभोक्ता मजबूर होकर बिना दिमाग खपाए ही बिल जमा करने को विवश होता है।

इस तरह करते हैं गुमराह
बिजली कंपनी के टैरिफ स्लैब के अनुसार 300 यूनिट से ज्यादा बिजली खपत होने पर 6 रुपए 30 पैसे यूनिट चार्ज लगता है। आमजन समझता है कि उसे 6 रुपए 30 पैसे प्रति यूनिट बिजली बिल रही है। लेकिन ऐसा नहीं है। बिजली कंपनी इसमें नियत प्रभार, ऊर्जा प्रभार, मीटर किराया, ईंधन प्रभार, विद्युत शुल्क आदि भी लगाती है। इस प्रकार प्रति यूनिट राशि 8 से 10 रुपए के बीच पहुंच जाती है।

स्लेब बढ़ाने देरी से लेते हैं मीटर रीडिंग
विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ता के बिल के फॉर्मेट के साथ-साथ खपत का समय भी निर्धारित किया है। 30 दिन की खपत का ही उपभोक्ता को बिल दिया जाने का प्रावधान है। इससे ज्यादा दिन की खपत का बिल दिया जाता है तो वह गलत श्रेणी में आता है। लेकिन स्लेब बढ़ाने के लिए बिजली कंपनी बड़ी चतुराई से जनता को लूटती है और अपना खजाना भरती है। स्लेब बढ़ाने के लिए कंपनी मीटर रीडरों को 5-10 दिन देरी से रीडिंग के लिए भेजती है। इससे विद्युत खपत बढ़ जाती है। ज्यादादर घरों में यह रीडिंग 300 को पार कर जाती है जो कंपनी की सबसे उच्च दर वाला टैरिफ है। यह बिजली 9 से 10 रुपए प्रति यूनिट पड़ती है।

ऐसे समझें आपको लगने वाली चपत

  • अगर किसी उपभोक्ता की 30 दिन में 100 यूनिट खपत हो रही है। उस उपभोक्ता को ऊर्जा प्रभार व फिक्स चार्ज के 427 रुपये देने होते हैं। अगर देर से बिल देने पर खपत 150 यूनिट पहुंच जाती है तो उसे ऊर्जा प्रभार व फिक्स चार्ज के 927 रुपये देने होंगे। यानी उसे 500 रुपये अधिक देने होंगे। ऐसे में उपभोक्ता पर अतिरिक्त 500 रुपये का भार आएगा।
  • जो उपभोक्ता 30 दिन में 200 यूनिट की खपत कर रहा है, लेकिन 15 दिन रीडिंग लेट होने की वजह से उसका बिल 300 यूनिट पहुंच जाता है तो उसे ऊर्जा प्रभार व फिक्स चार्ज के 2330 रुपये देने होंगे। जबकि उसका 1421 रुपये में काम चल जाता था, लेकिन 909 का अतिरिक्त भार आएगा।
  • 100 से 300 यूनिट के बीच स्लैब बदलने पर फिक्स चार्ज के 110 रुपये बढ़ते हैं। फिक्स चार्ज के पैसे कंपनी के खजाने में जाते हैं।
  • शहर में 101 से 200 यूनिट के बीच में बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 70 हजार है। इस श्रेणी के उपभोक्ता औसतन प्रतिदिन 5 से 6 यूनिट प्रतिदिन खपत करते हैं, लेकिन देर से बिल पहुंचने पर इनके ऊपर भी असर पड़ेगा।

10 की देर होने पर इतनी बढ़ेगी खपत

स्लैब दर इतनी बढ़ सकती है खपत

  • 30 यूनिट 3.10 10 यूनिट
  • 50 यूनिट 3.85 16 यूनिट
  • 100 यूनिट 4.70 33 यूनिट
  • 300 यूनिट 6.00 100 यूनिट
  • 300 अधिक 6.30 —
    (10 दिन लेट होने पर इतनी बढ़ जाएगी खपत)

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