उज्जैन। बिजली विभाग ने शहर के उपभोक्ताओं को बिजली बिल इस माह से मोबाइल पर भेजने की शुरूआत कर दी है। हालांकि यह बात अलग है कि जिन उपभोक्ताओं को स्मार्ट फोन चलाना नहीं आता है या फिर इस तकनीक से अनजान है उन्हें बिल भरने में परेशानी जरूर आ रही है। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधीन आने वाले उज्जैन संभाग के सभी जिलों में इस माह से बिजली बिल बांटना बंद कर उन्हें मोबाइल पर ही भेजना शुरु कर दिया गया है। बिजली कंपनी से सभी वितरण केंद्रों को प्रिंटिंग बंद करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं। हालांकि, तमाम उपभोक्ताओं के साथ खुद बिजली कर्मी भी इस व्यवस्था को लेकर अभी से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। गौरतलब है कि इस साल के शुरू में ही महू से बिजली कंपनी ने पेपरलेस बिलिंग को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया था। इसके बाद छह महीने पहले इंदौर में भी इसकी शुरुआत कर दी गई थी। इसके बाद से ही एक-एक कर तमाम जोनों पर बिजली के बिल छापना और वितरण बंद कर दिया गया।
जोन पर आकर बिल का प्रिंट निकलवा रहे
बिजली कंपनी द्वारा पेपरलेस बिल सिस्टम लागू करने से कई उपभोक्ताओं के साथ जोन भी असहज महसूस कर रहे हैं। स्मार्ट फोन नहीं चलाने वाले और तकनीक से अंजान उपभोक्ता बिल नहीं मिलने से परेशान हैं। बिजली जोन के अधिकारियों के अनुसार, ऐसे उपभोक्ता पहले तो बिल भरने में देरी कर रहे हैं, फिर जोन पर आकर बिल का प्रिंट निकलवा रहे हैं। इसके चलते राजस्व संग्रहण में तो दिक्कत आ ही रही है। जोन पर काम भी बढ़ गया है। बिजली कंपनी पेपरलेस की बात तो कर रही है, लेकिन जोनों को अपने यहां से बिल का प्रिंटआउट निकालकर देना पड़ रहा है।
भाजपा नेताओं ने भोपाल शिकायत भेजी
बिजली बिल बंद किए जाने से सत्ताधारी दल भी नाखुश नजर आ रहा है। भाजपा नेताओं ने भी इस बारे में भोपाल शिकायत भेजी है। अब तक छप कर आ रहे बिजली बिलों पर मुख्यमंत्री के फोटो के साथ सरकारी योजनाओं की जानकारी छपी रहती थी। साथ ही गृह ज्योति व अन्य योजनाओं के अंतर्गत 150 यूनिट तक छूट वाले बिजली के बिल पीले रंग के आते व उस पर सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी का ब्यौरा रहता था। भाजपा नेताओं ने ग्रामीण क्षेत्र में बिल बंद होने पर नाराजगी जताते हुए फिर से शुरू करने की मांग भी रखी है।
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