उजैन। देश में 1 मई से ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट की पूरी व्यवस्था बदलने जा रही है। सबसे खास बात यह है कि अब इलेक्ट्रिक (बैटरी) और मेथनॉल या एथेनॉल ईंधन से चलने वाले वाहनों को यह परमिट नि:शुल्क दिया जाएगा। साथ ही अन्य ईंधन जैसे डीजल या पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के लिए भी एक शुल्क चुकाने पर पूरे देश में जाने की अनुमति मिल जाएगी, जबकि अभी ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट होने के बाद भी वाहन को हर दूसरे राज्य में जाने पर वहां का साप्ताहिक टैक्स अलग से चुकाना पड़ता है। इससे वाहन मालिकों को काफी सुविधा मिल सकेगी।केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा नवंबर में नई व्यवस्था को लेकर ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिस पर दावे-आपत्तियों और सुझाव पर विचार करने के बाद अब फाइनल नोटिफिकेशन जारी किया गया है। इसके तहत पूरे देश में नई व्यवस्था 1 मई 2023, यानी अगले सोमवार से लागू होगी। नोटिफिकेशन के मुताबिक किसी भी पर्यटक वाहन ऑपरेटर के कमर्शियल यात्री वाहन (पर्यटक वाहन) के लिए ही अब ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट जारी किया जाएगा। इसकी वैधता अवधि तीन माह से लेकर पांच साल तक के लिए होगी। बता दें कि निजी वाहन को देश में कहीं भी ले जाने के लिए ऐसे परमिट की जरूरत नहीं होती है।
हर वाहन के लिए परमिट की राशि अलग
वाहन सालाना परमिट त्रैमासिक परमिट
पांच सीटर तक की कार 20,000 6,000
पांच से नौ सीटर तक की कार 30,000 9,000
10 से 22 सीटर वाहन 80,000 24,000
23 सीटर या ज्यादा की बसें 3,00,000 1,00,000
(सीटों की संख्या ड्राइवर को छोड़कर, जानकारी परिवहन मंत्रालय के मुताबिक)
टूरिस्ट वाहनों में बढ़ेंगे इलेक्ट्रिक वाहन
शासन ने नई व्यवस्था में इलेक्ट्रिक वाहनों को ऑल इंडिया परमिट के शुल्क से मुक्त रखा है। देश में ज्यादातर लंबे और बड़े मार्गों पर चलने वाली यात्री बसें ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट पर ही चलती हैं। वहीं ट्रेवल्स पर चलने वाली गाडिय़ां भी यही परमिट लेती हैं। नई व्यवस्था से अब इनके स्थान पर इलेक्ट्रिक बसें और कारें नजर आने लगेंगी। इससे प्रदूषण नियंत्रित होगा और यात्रियों को भी ज्यादा सुविधा मिलेगी।
कारों को सिर्फ 6 हजार में मिल जाएगा तीन माह का परमिट
नए नियमों में अभी की ही तरह हर वाहन के लिए परमिट की राशि उसकी बैठक क्षमता पर आधारित होगी। पांच सीटर तक की कारों को 6 हजार रुपए चुकाकर तीन माह का ऑल इंडिया परमिट मिल जाएगा, जिसके साथ देश में कहीं भी जा सकेंगे। इससे टूरिस्ट वाहन में भ्रमण पर निकलने वालों को काफी सुविधा होगी। सीटें बढऩे के साथ ही शुल्क बढ़ता जाएगा। वहीं अगर सालाना परमिट लेना चाहते हैं तो उसके लिए और ज्यादा राशि चुकाना होगी।
वाहन के रजिस्ट्रेशन से 12 साल तक ही जारी होगा परमिट
मंत्रालय द्वारा जारी मसौदे में कहा गया है कि किसी भी वाहन के रजिस्ट्रेशन की तारीख से 12 साल की अवधि तक के लिए ही यह परमिट दिया जा सकेगा। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में डीजल वाहनों को रजिस्ट्रेशन से 10 साल के बाद परमिट जारी नहीं किया जाएगा। यानी इस अवधि के बाद वाहनों को टूरिस्ट वाहन की तरह संचालित नहीं किया जा सकेगा।
नए नियमों से कई राज्य नाखुश
बताया जा रहा है कि नए नियमों की जानकारी आते ही टूरिस्ट परमिट ऑपरेटर्स तो काफी खुश हैं, लेकिन कई राज्य इससे काफी नाराज हैं, क्योंकि अभी लागू व्यवस्था के तहत हर राज्य अपने यहां किसी दूसरे राज्य में रजिस्टर्ड ऐसे वाहन के प्रवेश पर उससे साप्ताहिक टैक्स लेता है। इसे राज्य खुद तय करते हैं, लेकिन नई व्यवस्था में राज्यों की इस मनमानी पर रोक लग जाएगी और केंद्र सरकार अपने पास आने वाली इस टैक्स की राशि को एक फार्मूले के तहत राज्यों को देगी, जिससे राज्यों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। इसे लेकर केरल और तमिलनाड़ु सहित कुछ राज्यों ने विरोध भी किया था। हालांकि शासन के मंत्रालय ने जनसुविधा के आधार पर इसे खारिज कर दिया।
अभी मध्यप्रदेश में देना होता है 50 और 200 रुपए प्रति सीट टैक्स
परिवहन विशेषज्ञों ने बताया कि अभी प्रदेश में रजिस्टर्ड ऐसे ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट वाहन, जिनकी बैठक क्षमता 13 या ज्यादा सीटों की है, को 700 रुपए प्रति सीट प्रतिमाह टैक्स स्पेयर टैक्स के रूप में चुकाना होता है। वहीं इससे कम के वाहनों को लाइफटाइम टैक्स चुकाना होता है। वहीं किसी अन्य राज्य में रजिस्टर्ड 13 सीटर तक के वाहन के प्रदेश में प्रवेश करने पर उसे 50 रुपए प्रति सीट प्रतिदिन की दर से टैक्स देना होता है। वहीं 13 सीटर से ज्यादा के वाहनों को 200 रुपए प्रति सीट प्रति सप्ताह टैक्स चुकाना होता है। हर राज्य की अपनी अलग दर है, लेकिन नई व्यवस्था में वाहन संचालकों को इससे बड़ी राहत मिलेगी। लेकिन जो वाहन बहुत कम समय के लिए किसी दूसरे राज्य में जा रहे हैं, उन्हें यह नया टैक्स ज्यादा भी लग सकता है।
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